बूंदी. आरयूआईडीपी की ओर से
कोटा रोड पर देवपुरा में बनाई गई सडक़ के घटिया निर्माण की पोल तो
काम पूरा होने के एक माह बाद ही खुल गई थी। लेकिन निर्माण कंपनी ने इसकी कोई परवाह नहीं की, वहीं आरयूआईडीपी के अभियंता भी आंखें बंद किए बैठे रहे। तत्काल सडक़ का पुर्ननिर्माण करवाना तो दूर ठीक से मरम्मत भी नहीं करवाई गई। यही कारण है कि नौ माह से नई सडक़ जर्जर हाल में पड़ी है। आमजन को कंकरीट व धूल मिट्टी में होकर गुजरना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार अपे्रल २०१७ में देवपुरा में होकर कोटा की ओर जा रही सडक़ का निर्माण पूरा हुआ था। रेलवे पुलिया के यहां से सदर थाने के आगे तक सडक़ बनी थी। सडक़ निर्माण की एक वर्ष की गारंटी भी थी, जिसमें सडक़ में कोई भी डिफेक्ट होने पर कंपनी को दुबारा सडक़ निर्माण कराना था। लेकिन कंपनी ने मात्र दो बार ही सडक़ पर मरम्मत करवाई है, जिसमें भी महज खानापूर्ति करने की बात सामने आई है।
नोटिसों की कौन करे परवाह
सूत्रों के अनुसार अप्रेल २०१७ में सडक़ निर्माण पूरा होने के चंद दिन बाद ही सडक़ क्षतिग्रस्त हो गई। ऐसे में आरयूआईडीपी ने निर्माण कंपनी को मई २०१७ में दो, अगस्त माह में एक, अक्टूबर माह में तीन, नवम्बर में एक, दिसम्बर में एक व जनवरी २०१८ में एक नोटिस दिया है। यानि की नौ माह नौ बार नोटिस जारी किए गए। जिसमें क्षतिग्रस्त सडक़ को ठीक करने की बात कही गई। फिर भी निर्माण कंपनी ने कोई परवाह नहीं की, सडक़ को दुरुस्त करने पर
ध्यान नहीं दिया गया।
मरम्मत के लिए तरसा रहा ठेकेदार
शहर की सबसे मुख्य सडक़ की मरम्मत को लेकर ठेकेदार लोगों को तरसा दिया है। बीते नौ माह से जर्जर सडक़ पर लोग चलने को मजबूर हैं। नियमानुसार दुबारा नए सिरे से सडक़ बननी चाहिए थी, लेकिन मरम्मत में भी खानापूर्ति कर दी गई। हालात यह है कि जिम्मेदार महकमे सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। घटिया निर्माण करने वाले के खिलाफ एक बार भी कार्रवाई नहीं की गई।
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