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बूंदी

एक ऐसा गांव जो बन गया बजरी की मंडी

सूनगर गांव में हर समय एक ट्रॉली से लेकर ट्रक तक बजरी मिल जाती है।

बूंदीMar 29, 2019 / 09:03 pm

पंकज जोशी

ek aisa gaanv jo ban gaya bajaree kee mandee

एक ऐसा गांव जो बन गया बजरी की मंडी

केशवरायपाटन. सूनगर गांव में हर समय एक ट्रॉली से लेकर ट्रक तक बजरी मिल जाती है। इस गांव की बजरी मंडी के रूप पहचान बनी हुई है। यहां खेतों, बाड़ों व घरों में बजरी का भण्डारण किया जाता है। चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र से बजरी खनन कर यह लोग अपनी सुविधा के अनुसार जमा कर लेते हैं। राजस्थान पत्रिका टीम जब गांव में पहुंची तो बायीं मुख्य नहर से निकल रही पाटन वितरिका के सहारे 20 ट्रॉली बजरी का ढेर मिला। चम्बल नदी के किनारे छापर में चारों तरफ बजरी के ढेर नजर आ रहे थे।
वन चौकी पर लगा था ताला
बजरी खनन क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध सूनगर गांव में चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य की चौकी है, लेकिन जब पत्रिका टीम चौकी में पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था। देखने में लगा यहां काफी समय से कोई कर्मचारी नहीं आया है। चौकी एकांत में है, जहां बजरी भर निकलने वाले वाहनों की आवाज पहुंचना मुश्किल है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां कोई नहीं आता है। गार्ड भी गायब रहता है।
बजरी से हो रहे मालामाल
चम्बल नदी के किनारे निकलने वाली बजरी सूनगर के लोगों के लिए लक्ष्मी बनकर आई है। अच्छी खासी कमाई का जरिया बनी बजरी ने लोगों को सम्पन्न कर दिया। ग्रामीणों की माने तो यहां प्रति वर्ष ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खरीदने का रिकार्ड बनता जा रहा है। गांव में वर्ष 2018-19 में 100 नए ट्रैक्टर खरीदे गए हैं। जिनके पास जमीन नहीं है वह भी ट्रैक्टर खरीद बजरी परिवहन में लगा देते हैं।

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