सामान्य तौर पर धान की फसल की रोपाई 15 जुलाई के बाद होती है, लेकिन किसानों ने नया प्रयोग शुरू करते हुए अब गेहूं ही फसल की कटाई के बाद खेतों में हकाई कर धान की फसल की रोपाई शुरू कर दी है। सामान्य रूप से यह फसल सर्दी के मौसम में पककर तैयार होती है, लेकिन अब किसान इस गर्मी के मौसम में ही पका कर तैयार करने लगे हैं। प्रेमपुरा, गादेगाल, अधेड़ व अल्फानगर सहित कई गांवों में किसान धान की रोपाई करने लगे हैं।
नमाना क्षेत्र के किसानों ने बताया कि गर्मी में धान की फसल की रोपाई करने से पैदावार में थोड़ा फर्क पड़ता है। इस समय 6 से 8 क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से धान की पैदावार होती है। वहीं 15 जुलाई के बाद खेतों में लगाने वाले स्थान की फसल की पैदावार 9 से 10 ङ्क्षक्वटल तक प्रति बीघा के हिसाब से होती है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तापमान अधिक होने के चलते धान में रोग लगने की अधिक संभावना रहती हैं, जिससे किसान के कीटनाशक का प्रयोग करने से खर्च अधिक हो जाता है। वैसे सामान्य तौर फसल लगाने में होने वाले खर्च व इस समय लगाने वाली फसल के खर्चे में थोड़ा ही अंतर रहता है।
गर्मी के मौसम में धान की किस्म 1509 की रोपाई करते हैं। यह किस्म 60 से 70 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, जिससे आगे की धान की फसल लगाने में किसानों को परेशानी नहीं होती हैं।
राकेश वर्मा, कृषि पर्यवेक्षक, नमाना।