कस्बे के प्रमुख तालाब कनकसागर व नवलसागर की सार संभाल हो जाए तो कस्बे में पानी का संकट दूर हो सकता है।
बूंदी•Apr 10, 2019 / 10:10 pm•
पंकज जोशी
कभी थे अमृत कुण्ड अब बने कचरा पात्र
नैनवां. कस्बे के प्रमुख तालाब कनकसागर व नवलसागर की सार संभाल हो जाए तो कस्बे में पानी का संकट दूर हो सकता है। पानी के लिए नए स्रोतों की तलाश में इन परम्परागत स्रोतों को भूलते जा रहे हैं। गर्मी के दिनों में कभी पूरे कस्बे की प्यास बुझाने वाले इन जलस्रोतों को भूल जाने से यह कचरा पात्र बनकर रह गए। दोनों तालाबों में दो दर्जन से अधिक कुएं, बावडिय़ां व बेवरियां आज भी अच्छी स्थिति में है। सिर्फ इनकी साफ-सफाई करने की जरूरत है। कस्बे के बुजुर्गो का कहना है कि जब-जब भी कस्बे में पानी का संकट आया तब-तब यह जलस्रोत ही पानी के लिए सहारा रहे थे। जब से कस्बे में जलप्रदाय योजना स्थापित हुई और जगह-जगह हैण्डपम्प व नलकूप लगाते गए वैसे-वैसे ही इन परम्परागत स्रोतों को भूलते चले गए।
तालाबों में इतने कुएं व बेवरियां
कनकसागर तालाब में पनवाड़ा घाट के पास ब्राह्मणों का पंचायती कुआं, नीलकंठ महादेव मन्दिर के पास पंचायत कुआं, कपूरजी की बेवरी, फकीरों की बवेरी, कोली बेवरी, सलवटो की बेवरी, तम्बोली बेवरी, धर्मशाला का कुआं, बागरियों की बगीची का कुआं, नीलकंठ बेवरी सहित तीन अन्य बेवरियां स्थित है। नवलसागर तालाब में मोती कुआं, ब्रह्म बेवरी, गोपाल बेवरी, माताजी की कुंई, उंडाघाट की बेवरी, गणेश कुंई, सुरदास कुंई, कोटवाली कुंई आज भी मौजूद है।