गुलाल और रंगो से चेहरे श्वेत-लाल राजपूती पौशाक में सजी-धजी महिलाओं पर होली की खुमारी देखते ही बनी। महिला मंडल ने राधाकृष्ण की फूलों से झांकी व आकर्षण श्रृंगार कर गुलाल लगाई। रंगोत्सव में म्यूजिक की धून साथ में ढोल की खनकती आवाज और गुलाल की जुगलबंदी का तानाबाना कुछ ऐसा बूना की चहूं ओर मस्ती का माहौल बन गया।
Holi special: क्या आप जानते है होली से जुड़ी ये 10 बाते..जानकर आप भी हैरान रह जाएगें आज बिरज में होली है रसिया, रंग डाल गया सांवरिया, गौकुल का छौरा बरसाने की छोरी फागुनी गीतो पर महिलाओ ने नृत्य किया। लाल गुलाबी नीले-पीले रंगो से सराबोर महिलाओं ने एक दूसरे को होली की बधाई दी।
रोहिणी हाड़ा ने बताया कि रियासत काल में होली राजा महाराजा रानियां ओर उनकी दासिया सब मिलकर खेलती थी। मोतीमहल में ओदे भराए जाते थे जिसमें पानी में रंग घोलकर खूब होली खेली जाती थी।
पुरूष घोडे पर सवारी करते हुए एक दूसरे पर रंग डालते थे। समय के साथ अब सब बदल गया लेकिन अब राजपूत फाउडेंशन महिलाओं ने रियासकालिन परम्परागत को शुरू किया है। होली पर श्वेत और लाल परिधान पहनते थे और पुरुष भी इसी कलर का सफेद साफा बांधते थे। इसलिए इसी थीम पर महिलाओं ने परम्परागत परिधान पहने।
वहीं वसुंधरा भाटी की ससुराल में यह पहली होली है। बूंदी में रची बसी संस्कृति को देखकर अभिभूत वसुंधरा बताती है कि इस तरह के आयोजन होने से आने वाली पीढियों को भी जानकारी मिलेगी। उत्सव में रीना राणावत, उर्मिला सौलंकी,तनु गौड़, राजप्रभा जोधा, कंचन हाड़ा, पद्मनी हाड़ा, पद्मनी खींची नंन्दनी खिची, वन्दना सौलंकी, डॉ. प्रीति राठौड़, डिम्पल आमलदा, उमा हाड़ा, दीप्ती राठौड़, रेखा सौलंकी, प्रियंका सौलंकी सहित राजपूत महिला फाउण्डेशन की सदस्य मौजूद रही।