जर्मनी से हो रही रामगढ़ की बाघिन की मॉनिटरिंग
बाघिन को लगाया है सेटेलाइट रेडियो कॉलर
जर्मनी से हो रही रामगढ़ की बाघिन की मॉनिटरिंग
बूंदी. रामगढ़ विषधारी की बाघिन की मॉनिटरिंग जर्मनी से भी की जा रही है। यहां टाइगर रिजर्व में 16 जुलाई को लाई गई बाघिन के गले में वन विभाग ने सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाया है। जिसका सिग्नल डाटा गूगल के माध्यम से जर्मनी में कम्पनी के सर्वर पर सेव होता है। रामगढ़ लाई गई बाघिन को भी सेटेलाइट कॉलर लगाकर मॉनिटरिंग को पुख्ता किया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर तो बाघिन की मॉनिटरिंग हो ही रही है, साथ ही सेटेलाइट के माध्यम से भी इसकी हर गतिविधि की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
आठ-आठ घंटे में मिलता है अपडेट
सेटेलाइट रेडियो कॉलर का डाटा जर्मनी से विभाग को हर आठ घंटे में मिलता है। गूगल से इसका लोकेशन पता चलता रहता है। आठ घंटे में मिलने वाले लोकेशन में बाघ-बाघिन के उस समयावधि में हर गतिविधि का पता चलता है। इससे विभाग को मॉनिटरिंग करने में और आसानी हो जाती है। साथ ही बाघिन की मूवमेंट का पता चलता रहता है।
करीब दो साल से लगने लगे हैं
पहले बाघ-बाघिनों को रिलोकेट करने के दौरान रेडियो कॉलर ही लगाए जाते थे। तकनीक बढऩे के साथ ही सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाए जाने लगे हैं। यह कार्य गत दो सालों से किया जा रहा है। इससे पहले सरिस्का में रिलोकेट किए गए बाघ-बाघिनों को भी सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाए गए थे।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघिन को सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाया है। इसकी मॉनिटरिंग जर्मनी से हो रही है। कम्पनी के पास इसका डाटा जाता है, जो आठ-आठ घंटे के अंतराल में विभाग को मिलता है।
– संजीव शर्मा, उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक(कोर), आरवीटीआर, बूंदी
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