अब तक सामान्य वर्ग को राजनीतिक दल केवल चुनाव के दौरान ही याद करते थे। जब से एससी एसटी कानून में केंद्र सरकार ने संशोधन किया है वो गले की फांस बन गया है। इसका व्यापक स्तर पर असर भी दिखाई दिया। हालात यह बन गए कि अब सामान्य और पिछड़ा वर्ग इसके विरोध में सड़क पर उतर आया। इस निर्णय से अब केंद्र और प्रदेश सरकार के सामने ‘न निगलते बन रहा और न उगलते’ जैसे स्थिति निर्मित हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से बदलने पर इसकी देशभर में व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है। गुरुवार को काले कानून को लेकर भारत बंद का आह्वान किया गया। बूंदी जिले में भी बंद रखा गया। यहां तक कि दिहाड़ी मजदूरी करने पेट पालने वाले क्या चायवाला हो या गुमटी संचालक केंद्र सरकार द्वारा एससी एसटी एक्ट में किए बदलाव के विरोध में खड़ा दिखाई दिया। बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा। कहीं से कोई अप्रिय स्थिति निर्मित होने की सूचना नहीं मिली।
भारत बंद के समर्थन में जिले में बंद के दौरान लोग सुबह सुबह चाय नाश्ते तक को तरस गए। एक भी घुमटी या चाय नाश्ते की दुकान नहीं खुली। सर्व समाज की और से पूर्व में ही चेतावनी दे दी गई थी। पुलिस प्रशासन भी बंद के चलते पूरी तरह मुस्तैद दिखाई दिया। चप्पे चप्पे पर माकूल पुलिस बल तैनात रहा। पेट्रोल पम्प संचालकों ने भी बंद का समर्थन किया।