सावन नहीं बुझा सका प्यास, दस बांधों का पेंदा ही सूखा
इस वर्ष सावन का महिना भी जिले के बांध-तालाबों की प्यास नहीं बुझा पाया है। यही हाल रहे तो जिले में आधे से ज्यादा बांध सूखे रह जाएंगे।
सावन नहीं बुझा सका प्यास, दस बांधों का पेंदा ही सूखा
हिण्डोली-नैनवां उपखंड में नहीं बढ़ा जलस्तर
जिले में औसत बारिश 428.83 फीसदी रही सावन का महिना भी जिले के बांध-तालाबों की प्यास नहीं बुझा पाया
बूंदी. इस वर्ष सावन का महिना भी जिले के बांध-तालाबों की प्यास नहीं बुझा पाया है। यही हाल रहे तो जिले में आधे से ज्यादा बांध सूखे रह जाएंगे। अगस्त माह के अंतिम दिनों तक मात्र बरधा बांध पर चादर शुरू हुई है। जबकि हिण्डोली उपखंड की लाइफ लाइन कहे जाने वाले गुढ़ा बांध का जलस्तर मात्र 9.50 फीट पहुंचा है। बांध की कुल भराव क्षमता 34.50 फीट है और हिण्डोली उपखंड की प्यास बुझाता है।भीमलत बांध भी नहीं भरा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में दस बांध तो ऐसे हैं जिनका जल स्तर ही शून्य है। ऐसे में इन बांधों
के आस-पास जल संकट दूर नहीं हुआ।
अब सावन का महिना भी बीत गया। इस बार रविवार तक की औसत बारिश 428.83 फीसदी रही है। जबकि बीते वर्ष 429.48 फीसदी हुई थी। हालांकि बीते वर्ष भी बारिश औसत से बहुत कम हुई, ऐसे में लोगों को वर्षभर जल संकट झेलना पड़ा। बीते वर्ष बारिश का औसत 491.50 मिलीमीटर रहा था। जबकि मौसम विभाग बूंदी जिले में बारिश के औसत का आकलन 7 सौ मिलीमीटर से अधिक का करता है। अब यही हाल इस वर्ष भी रहे तो पानी के बिना जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। किसान बर्बाद हो जाएंगे।
फसलों पर पड़ेगा असर
बारिश कम रहने का असर फसलों पर पड़ेगा। धान की पौध नलकूपों के भरोसे नहीं पक सकेंगी। यदि किसानों ने नलकूपों के भरोसे इस फसल को बचाए रखने के प्रयास भी किया, तो यह उनके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। यही हाल अन्य फसलों में रहेंगे।
जलस्तर नहीं बढ़ा
जिले में अभी भी कई हिस्सों का जलस्तर नहीं बढ़ा। असिंचित क्षेत्र के कई गांवों में तो अभी तक टैंकरों से जलापूर्ति करनी पड़ रही है। ऐसे में बांध-तालाब खाली रह गए तो जीवन संकट में पड़ जाएगा।
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