एक जलाशय से दूसरे जलाशय तक पानी पहुंचाने के लिए सदियों पूर्व बना ड्रेनेज सिस्टम (पक्की खाइयों) का समय की मार भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई।
बूंदी•Apr 09, 2019 / 01:32 pm•
पंकज जोशी
वरदान को बना दिया अभिशाप, ड्रेनेज सिस्टम बना डाला कचरा पात्र
नैनवां. एक जलाशय से दूसरे जलाशय तक पानी पहुंचाने के लिए सदियों पूर्व बना ड्रेनेज सिस्टम (पक्की खाइयों) का समय की मार भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई। कस्बे के तीन तालाबों का पानी एक-दूसरे तालाब में पहुंचाने का रियासत काल में निर्मित सिस्टम अभी भी जैसा था वैसा ही है। इनके लिए बुरा पक्ष तो यह है कि जिनकों इनकी सफाई का ध्यान रखना था उन्होंने ही इस सिस्टम को कचरा पात्र बना दिया। निर्माण कराने वाले जो वरदान दे गए, इधर जिम्मेदारों ने अभिशाप बना दिया।
कस्बे के तीन तालाब नवलसागर, कनकसागर एवं रायसागर को मिलाने वाली रियासतकालीन पक्की खाइयां कचरे से अटी पड़ी है। बरसात का पानी खाइयों में आते ही सड़ांध मारने लगता है। खाइयों की सफाई हुए दशक बीत गए।
जब इन खाइयों की साफ-सफाई रहती तो यह बरसात में एक दूसरे तालाब में पानी की आवक की सहायक बनी रहती थी। बरसात में आने वाले पानी भी इन खाइयों से होते हुए तालाबों में पहुंचाता था।
ऐसे बना हुआ ड्रेनेज सिस्टम
कनकसागर तालाब के पानी को नवलसागर तालाब में डालने के लिए टोडापोल से चौथमाता तक, रायसागर का पानी डालने के लिए नवलसागर को रायसागर से जोडऩे के लिए खानापोल से देईपोल तक तथा कनकसागर का पानी रायसागर में डालने के लिए लिए गढपोल तक खाइयां बनी हुई है। खाइयों का ड्रेनेज सिस्टम इस तरह बना हुआ है कि नवलसागर व कनकसागर से होने वाले सीपेज का पानी इन खाइयों के माध्यम से वापस तालाबों में पहुंचता रहता था। जिससे सीपेज के पानी की छीजत भी नहीं हो पाती थी।
सुरक्षा भी, आवक का जरिया भी
कस्बे के बुजुर्गों के अनुसार 15वीं शताब्दी में जब किलेदार नाहर खानसिंह ने नैनवां को टाउन प्लानर के हिसाब से बसाया था, सुरक्षा के लिए कस्बे के चारों और बनाए विशालकाय परकोटे के सहारे बीस फीट चौड़ी व तीस फीट गहरी पक्की खाइयों का निर्माण कराया था। इनके निर्माण में ऐसी तकनीक काम में ली कि खाइया कस्बे की सुरक्षा के साथ पानी की आवक के रूप में भी काम आए। अब स्थिति यह बनी है कि तीस फीट गहरी खाइयों में बीस फीट तक कचरा अटा होने और कस्बे की नालियों व शौचालयों का पानी भी इनकी की तरफ मोड दिया गया।
कस्बे के चारों ओर बनी खाइयों में अटे कचरे की सफाई करवाकर ग्रीन पट्टी के रूप में विकसित किया जाएगा। पालिका बोर्ड ग्रीन पट्टी निर्माण का निर्णय कर चुका। इसकी डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजेंगे।
जितेन्द्रकुमार मीणा, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका, नैनवां