जाग्रति आदिवासी दलित संगठन की कार्यकर्ता माधुरी बेन का कहना है कि 11 हजार वन अधिकारी दावे के विरुद्ध 54 का निराकरण हुआ है, जो पोर्टल पर है। कारण वन विभाग अपना 200 साल जमींदारी नहीं छोडऩा चाह रहा है। हर जगह रोड़े अटका रहा है या तो फर्जी कार्रवाई कर रहा है। कई ऐसी शिकायत भी आई है कि दावेदार के सामने सत्यापन करने की बजाय ऑफिस में बैठकर कर रहे हैं और बोल रहे हैं कि रेंज ऑफिस में आकर साइन कर दो। ऐसी शिकायत भी आई है कि सत्यापन हुआ और दावेदार को पता ही नहीं चला, इस चीज को देखने के लिए वन अधिकार समिति की उपस्थिति के बिना सत्यापन हो रहे हंै और यह भी हो रहा है कि ग्राम सभा के सामने पेश ही नहीं किए जा रहे हैं और अपने मन से अपात्र बताने की कोशिश की जा रही है। माधुरी बेन का कहना है कि यह नहीं होना चाहिए। यह एक और मौका मिला है और यह शायद आखरी मौका है। प्रदेश में विविधवत काम करने के लिए। लोग तो वही मांग रहे हैं, जो कानून में लिखा है। लेकिन कानून का उल्लंघन अभी भी चल रहा है यह बहुत अफसोस जनक है। वन विभाग की इन हरकतों के कारण दावों की स्थिति सुधर नहीं रही है, अभी तक दावों का निराकरण नहीं हुआ है। एक साल से दावों पर पुनरीक्षण का सिलसिला चल रहा है अफसोस इस बात का है पहले जो गड़बड़ी थी वापस होने की कोशिश की जा रह है।
यह बोला आदिवासी विकास विभाग
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त लखनलाल अग्रवाल का कहना है कि सभी का सत्यापन हो रहा है, जो पात्र पाए जा रहे हैं वह दिए जा रहे हैं, 11 हजार में 5944 पुराने है, बाकी जो है सब नए हैं, नए पर भी प्रक्रिया चल रही है, पुराने पर पुर्नविचार हो रहा है। यह कोई एक झटके में नहीं होगा पूरा ऑनलाइन कार्रवाई है, यह सब दिखती है। इसमें मान लो कोई दावा अमान्य होता भी है तो उसमें अपील का प्रावधान है उसमें दावेदार को सूचना भी जाती है।
विभाग बोला 48 हजार हेक्टेयर में अतिक्रमण
वन विभाग के मुताबिक लगभग जंगल का क्षेत्रफल 1 लाख 90 हजार हेक्टेयर है, इसमें 7.5 हजार पट्टे वितरित किए और लगभग 48 हजार हेक्टेयर में अतिक्रमण होने की बात कही गई।
– सत्यापन के बारे में मुख्य रूप से आदिवासी विकास विभाग बताएंगे, वे नोडल अधिकारी है, इसकी सारी रिकॉर्ड क्लीपिंग सब कुछ उनके पास ही रहता है।
– गौरव चौधरी, डीएफओ