खंडवा जिले के खालवा जामदड़ गांव के 9 मजदूरों को ठेकेदार भवन निर्माण कार्य के लिए कल्याण लेकर गया था। कोरोना वायरस का संक्रमण बढऩे के बाद लॉकडाउन होते ही काम बंद होने पर ठेकेदार मजदूरों की बिना कोई सहायता के ही छोड़ गया। लॉकडाउन होते ही बस और रेलवे परिवहन बंद होने के बाद मजदूरों ने पैदल ही अपने घर जाने का मन बना लिया। 25 मार्च को 9 मजदूर अपने कंधों में बैग लेकर रेलवे पटरियों पर पैदल ही खंडवा के लिए रवाना हो गए। 7 दिनों के अंदर लगभग 447 किलोमीटर की दूरी तय कर शनिवार दोपहर 12 बजे बुरहानपुर पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ जवानों ने पूछताछ कर मजदूरों को भोजन कराया। जीआपी पुलिस जवान केदरलाल काजले ने सभी मजदूरों का जिला अस्पताल में मेडिकल चेकअप कराया। पहले मजदूरों को लालबाग थाने ले गए, लेकिन यहां पर किसी प्रकार की वाहन मदद नहीं मिलने पर मजदूरों को 5 किलो मीटर दूर अस्पताल पैदल ही सफर तय करना पड़ा।
स्टेशनों पर गुजारी रात, पैरों में आ गए छाले
मजदूर दरासिंग, रमन, शंकर सिंग ने बताया कि कल्याण से पैदल रेलवे पटरियों से अपने घर की ओर निकलने के बाद सात दिनों के अंदर कई जगहों पर लोगों ने मदद कर भोजन खिलाया और पानी पिलाया। पैदल चलते-चलते सुबह से शाम होने पर छोटे और बड़े रेलवे स्टेशन पर ही रातें गुजरी। रेलवे पटरियों पर पैदल चलते-चलते मजदूर लक्षण सिंग और अन्य मजदूरों के पैरों में छाले तक आ गए। गांव पहुंच कर परिवार से मिलने की चाह ने आखिरकार हमें बुरहानपुर तक पहुंचा दिया।
इधर नासिक से बुरहानपुर आए 8 युवक
महाराष्ट्र के नासिक दिहाड़ी मजदूरी करने गए 8 युवक शनिवार को रावेर लोनी सीमा से बुरहानपुर पहुंचे। युवकों ने बताया कि वह नासिक से रीवा जिले की ओर जा रहे हैं। वाहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण पैदल ही सफर करना पड़ रहा है। हम सभी गुरुवार को नासिक से रीवा जाने निकले हंै। रास्ते में किसी भी प्रकार का कोई वाहन नहीं मिला।