scriptबुरहानपुर : यहां सदियों से चली आ रही नाग नागिन के जोड़े छोडऩे की परंपरा | Burhanpur: There is a tradition of leaving pairs of Naga Nagin which h | Patrika News
बुरहानपुर

बुरहानपुर : यहां सदियों से चली आ रही नाग नागिन के जोड़े छोडऩे की परंपरा

रस्सी के सहारे आस्था
 

बुरहानपुरSep 03, 2019 / 07:30 pm

ranjeet pardeshi

Burhanpur: There is a tradition of leaving pairs of Naga Nagin which h

Burhanpur: There is a tradition of leaving pairs of Naga Nagin which h

बुरहानपुर. ऋषी पंचमी को अडबाल पंचमी भी कहा जाता है बुरहानपुर के उखड्ड गांव में उतावली नदी को पार कर भक्त पंहुचते हैं नाग देवता के देवालय पर यहां चतुर्थी की रात और पंचमी के प्रारंभ होते ही अंधेरों में पुजा करने निकल जाते हैं लोग, यहां जाने पर दो विषाल नाग देवता की बांबी होती है ंजिस पर लोग करते है ंपुजा और लेते हैं मन्नत, मन्नत पूर्ण होने पर छोडते हैं नाग देवता का जोडा चढाते हैं चांदी का छत्र, हजारों की संख्या में यहां पंहुचते है लोग! रस्से के सहारे उतावली नदी पार कर पुहंचते हैं देवालय और निभाते हैं पंरपरा, चढाते हैं मैदे की पूरी जो घी में बनी हो, विष्व में एक ही स्थान हैं जहां चढता हैं इस प्रकार का प्रसाद, किंतु इस वर्ष उतावली नदी को पार करने के लिए रस्सी सहारे भक्तों को उतावली नदी पार करना पड़ी, हालांकि ट्रॉली की व्यवस्था भी की गई थी, लेकिन कुछ इसमें सवार हुए तो कुछ रस्सी के सहारे नदी पार करते दिखे।

बुरहानपुर से 7 किमी दूर उतावली नदी के पार उखड गांव में चतुर्थी की रात और पंचमी के प्रारंभ होते ही निकल पडते हैं लोग यह परंपरा करीब 300 वर्ष पुरानी हैं जो आज भी उतनी ही अदब के साथ निर्वाह कि जा रही हैं जैसा की 300 वर्ष पुर्व चलती थी, यहां लोग हाथों में टोकरी में बंद नाग का जोडा लेकर निकल पडते हैं हाथों में होता हेैं मैदे की पूरी जो कि एक विषेष प्रकार के बनी हुई होती हैं उसपर पूरीयां टंगी होती हैं यह पुरी मैदे और घी की बनी होती हैं यहां हजारों भक्त पंहुचते हैं इस नाग देवता की चिकनी मिट्टी से बनी बांबी की पूजा करने! कहा जाता हैं इस बांबी में नाग देवता वर्ष भर निवास करते हैं और आज के दिन केवल नसीब वालों को ही दर्षन देते हैं इस उखड गांव में देवालय तक पंहुचने के लिएंें उतावली नदी को पार करना होता हैं

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