script1920 में पहली बार तिलक हॉल में शुरू हुआ गणेशोत्सव : जाने पूरा इतिहास | Ganeshotsav started in 1920 for the first time in Tilak Hall | Patrika News
बुरहानपुर

1920 में पहली बार तिलक हॉल में शुरू हुआ गणेशोत्सव : जाने पूरा इतिहास

– सबसे पहले सार्वजनिक रूप से बड़े स्तर पर हुआ था आयोजन

बुरहानपुरSep 01, 2019 / 10:57 pm

ranjeet pardeshi

Ganeshotsav started in 1920 for the first time in Tilak Hall

Ganeshotsav started in 1920 for the first time in Tilak Hall

– 1917 में आए थे बालगंगाधर तिलक
– उत्साह के साथ मनाया जाता है गणेशोत्सव
– ब्रिटिश के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा करने के लिए शुरू किया गणेशोत्सव
बुरहानपुर. प्रदेशभर में प्रसिद्ध बुरहानपुर के गणेशोत्सव का इतिहास भी काफी प्राचीन है। देशभर में लोगों को संगठित करने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव की शुरुआत की थी, इसके लिए वे 1917 में बुरहानपुर में आए थे, जहां प्रतिमा स्थापना की प्रेरणा देने के बाद शहर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने 1920 में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेश प्रतिमा की स्थापना बुरहानपुर में की थी। तब से यह उत्साह शहर में चला आ रहा है
शहर में गणेशोत्सव की स्थापना और जगह-जगह व्यायामशालाओं की शुरुआत की। इन बातों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मार्तंड रामचंद्र मुजुमदार ने अपनी डायरी में उल्लेख कर गए, जो आज इतिहास के पन्ने बन गए। इसी की जानकारी उनके पौते डॉक्टर राजीव मुजुमदार ने दी। उन्होंने बताया कि हमारा दादा वकील थे। उनके साथी अण्णा साहब फरासखानेवाले, रामचंद्र पाठक, फकीरचंद कपूर ने निर्णय लिया कि बाल गंगाधर तिलक की इच्छा थी कि लोक जाग्रति के लिए गणपति उत्सव शुरू किया जाए, उसके लिए उन्होंने तिलक हॉल का निर्माण किया १९२० में फिर वहां गणेशोत्सव शुरू किया, फिर मोहल्ले-मोहल्ले में व्यायामशाला भी शुरू की।
ब्रिटिश के खिलाफ जनआंदोलन करना था
बाल गंगाधर तिलक का प्रभाव इन लोगों पर खासा था। उन्हीं की प्रेरणा मिली थी। उस समय वातावरण ही ऐसा था। ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन आंदोलन शुरू करने की जरूरत थी, भारतीयों का संगठन होना जरूरी थी, इस माध्यम से भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम देश भक्ति का प्रचार हो इसलिए शुरू हुआ। बाल गंगाधर तिलक १९१७ में आए थे बुरहानपुर जिन्हें लोक संग्रहित कर ३ हजार रुपए दिए थे, जिन्होंने यह राशि उन्हें वापस की और इसी राशि से तिलक हॉल का निर्माण हुआ। बता दे कि मार्तंडराव मुजुमदार पहली राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
2007 से फिर शुरू की स्थापना
बीच में कई समय तक तिलक हॉल में गणेशोत्सव बंद होने के बाद २००७ में फिर से यहां प्रतिमा स्थापित की जा रही है। समिति के महेश चौहान ने बताया कि बाल गंगाधर तिलक की प्रेरणा से यहां गणेशोत्सव शुरू हुआ था, अब हम युवा इसी को आगे बढ़ा रहे हैं।

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