– दूध उत्पादकों का खरीदी दाम कम करने के बाद हुई कार्रवाई
बुरहानपुर•Nov 14, 2017 / 09:21 pm•
ranjeet pardeshi
Investigation of milk in the city’s big dairy lotus and jokes
बुरहानपुर. प्रशासन और खाद्य विभाग का दल मंगलवार को दो डेयरियों पर जांच के लिए पहुंचा। डेयरियों से दूध व दही के सैंपल लिए गए। गत कुछ दिनों से दूध के खरीदी मूल्य को लेकर उत्पादकों और डेयरी संचालकों के बीच विवाद चल रहा है। प्रशसन के पास भी शिकायत पहुंची थी। भाव को लेकर तो कोई रास्ता नहीं निकला, लेकिन डेयरी संचालकों के यहां प्रशासनिक अफसर जांच के लिए पहुंच गए, ताकि उत्पादकों द्वारा जो फेट की शिकायत की थी, वह कितनी सच है।
मंगलवार को डिप्टी कलेक्टर श्यामेंद्र जायसवाल खाद्य विभाग की टीम के साथ गांधी चौक में कमल डेयरी व विनोद डेयरी पर पहुंचे। कमल से दही और विनोद से दूध का सैंपल जांच के लिए लिया है। डिप्टी कलेक्टर जायसवाल ने बताया कि दूध का उत्पादन अधिक होने से इसकी क्वालिटी जांच के लिए सैंपल लिए गए है। जांच में कोई अनियमितता मिलने पर कार्रवाई होगी। इस दौरान खाद्य निरीक्षक कमलेश डावर भी मौजूद थे।
६ रुपए फेट कर दिए दूध के दाम
पिछले एक महीने में डेयरी संचालकों ने दूध के खरीदी के दाम ७ रुपए से घटाकर ६ रुपए कर दिए हैं। इसका उत्पादक विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि दाम कम से कम ६.४० रुपए मिलना चाहिए। वहीं दूसरी ओर डेयरी संचालकों ने खरीदी दाम कम किए है, लेकिन उपभोक्ताओं को वह पुराने दामों पर ही दूध बेच रहे हैं। उत्पादकों का कहना था कि फिर उपभोक्ताओं को देने वाले दूध के भाव भी कम किए जाए। इनके द्वारा जो फेद के हिसाब से दूध उत्पादकों से खरीदा जाता है, वह फेट की गुणवत्ता तो उपभोक्ताओं को मिलती भी नहीं है। इसलिए यह जांच की गई।
६० हजार लीटर दूध की खपत- जिले में प्रतिदिन ६० हजार लीटर दूध की खपत हो रही हैं। इसके दाम भी लगातार आसमान छूते जा रहे हैं। महंगे दाम देने के बाद भी लोगों को वसा रहित दूध नहीं दिया जा रहा है। बड़े दूध डेयरी संचालक इसका स्टॉक कर बेच रहे हैं। यह दूध सप्ताहभर तक स्टॉक में रहता है।
बॉक्स आयटम
दूध की जांच कराए उपभोक्ता-
दूध डेयरी से प्रतिदिन घर आने वाले खुले दूध की जांच उपभोक्ता करा सकते हैं। इसके लिए सांची दूध पर शनिवार के दिन जांच होती है। यहां दूध का दूध ओर पानी का पानी सामने आ जाएगा। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरुकता न होने के कारण इसकी जांच कराना उचित नहीं समझते। कईबार दूध फटने के बाद भी डेयरी संचालक उपभोक्ता की गलती बता जाते हैं।