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बुरहानपुर

आर्थिक जनगणना को समझ रहे एनआरसी-सीएए का सर्वे

– भ्रम की स्थिति- सीएससी के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर ने बताई समस्या- मोबाइल तक छीन रहे – ५० फीसदी हो पाया काम, पंचायत लगभग पूरी, शहर में दिक्कत – आवास से कोई दस्तावेज नहीं, व्यवसायियों से मांग रहे दस्तावेज

बुरहानपुरFeb 04, 2020 / 12:29 pm

ranjeet pardeshi

 NRC-CAA Survey Understanding Economic Census

NRC-CAA Survey Understanding Economic Census

बुरहानपुर. जिले में आर्थिक जनगणना का सर्वे चल रहा है, लेकिन इस बीच एनआरसी और सीएए को लेकर बना माहौल आर्थिक गणना पर भारी पड़ रहा है। कुछ लोग इस सर्वे को एनआरसी या सीएए का समझ प्रगणकों को मारने तक के उतारू हो रहे रहे हैं। दुबारा जाने पर मोबाइल तक छीन लेते हैं। इससे समय रहते यह गणना नहीं हो पा रही है। भ्रम की स्थिति बनने से सर्वे में दिक्कत जा रही है।
सरकार की ओर से आर्थिक जनगणना का सर्वे कराया जा रहा है। लेकिन इस काम में प्रगणकों को खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हालात तो यह बन रहे हैं कई घरों में जाने पर लोग इसे एनआरसी या सीएए का सर्वे समझ जानकारी देने से मना कर रहे हैं, यह समस्या सर्वे में जुटी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर अंकित वर्मा ने बताई है। उनका कहना है कि कलेक्टर को भी इस बारे में अवगत कराया जाएगा।
यह है सर्वे की हकीकत
सर्वे के लिए पिछले एक साल से तैयारी चल रही है। जब सर्वे शुरू हुआ तो उम्मीद थी कि जल्द पूरा होगा। क्योंकि इस बार सर्वे पूरी तरह डिजिटालाइजेशन है। इसके लिए २६३ प्रगणक जुटे है। जिले में कुल १ लाख ९६ हजार ६३० मकान दुकन और आवास/व्यवसाय का सर्वे करने के लिए चिन्हित किया है। अब तक केवल ९८ हजार ९९८ का आंकड़ा पूरा हुआ है। फरवरी एंडिंग तक सर्वे पूरा करना है, लेकिन सर्वे में आ रही असुविधा से समय रहते लक्ष्य पूरा होना मुश्किल दिख रहा है।
आर्थिक जनगणना के आधार पर योजना का लाभ
गणना का मुख्य उद्देश्य सही आंकड़े जुटाना हैं ताकि सरकार को पता चल सके कि हमारी जमीनी स्थिर पर आर्थिक और सामाजिक स्थिति कैसी है। इसी जनगणना के आधार पर शासन के योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। लेकिन सर्वे में आ रही असुविधा के पीछे भ्रमण की स्थिति बनी है। इस कारण से पचास फीसदी ही काम अब तक हुआ है।
पंचायते पूरी शहर में आ रही परेशानी
सीएससी के मैनेजर अंकित वर्मा का कहना है कि आर्थिक जनगणना का काम पंचायतों में लगभग पूरा हो गया है। केवल ४ से ५ पंचायत रह गई है। लेकिन शहरी क्षेत्र में अभी काम बाकी है। शहरी क्षेत्रों में सर्वे में दिक्कत जा रही है। कई लोग इसे सीएए और एनआरसी का सर्वे समझ रहे हैं। इसलिए जानकारी न देने के कारण दुबारा आने का कहते हैं, दुबारा जाओ तो मारने को उतारू हो रहे हैं, जबकि कई तो मोबाइल तक छुड़वाने का प्रयास करते हैं।
यह मांग रहे जानकारी
आर्थिक जनगणना परिवार के सदस्यों की संख्या, परिवार का मुखिया, क्या काम करते हैं। परिवार में ओर कोई व्यक्ति जो काम करता हो। इसमें किसी का भी आधार या कोई दस्तावेज बिलकुल नहीं मांग रहे हैं।
व्यवसायिक के लिए जुटा रहे जानकारी
बताया कि तीन तरीके से यह गणना हो रही। पहली ऐसे घरों की गणना जहां कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो रही है। दूसरा उन घरों का सर्वे जहां घर में छोटी छोटी दुकानें खोली गई है और तीसरी व्यवसायिक दुकानों, मॉल, फैक्ट्री आदि व्यवसायिक गतिविधियों वाले स्थान की गणना की जा रही है। बताया कि इस गणना से सरकार को अपनी आर्थिक निर्णय लेने में मदद करती है। देश के कितने लोगों के पास रोजगार है। लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी मिलती है। जो व्यवसायिक प्रतिष्ठान है उनसे जीएसटी नंबर, शॉप लाइसेंस, फूड सेफ्टी रजिस्ट्रेशन, पेन नंबर मांग रहे हैं। बाकी घरों के सर्वे में किसी से कोई भी दस्तावेज नहीं मांगे जा रहे हैं।
पहली बार डिजिटल सर्वे
पहली बार डिजिटल सर्वे हो रहा है। ऑनलाइन पर हो रहा सर्वे आर्थिक गणना का काम पहले सरकारी कर्मचारी मैन्युअल तरीके यानि कागजी सिस्टम से करते थे, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने सीएससी यानी लोक सेवा केंद्र को जिम्मेदारी सौंपी है। गणना पूर्णत: ऑनइलाइन हो रहा है। गणना का पूरा डाटा गोपनीय रखा जा रहा है। इसे अपलोड करने के बाद प्रगणक व सुपरवाइजर दोबारा नहीं देख सकते।
साल 1977 में हुई थी पहली आर्थिक गणना
भारत में छठी आर्थिक गणना साल 2013 में की गई थी जबकि पहली आर्थिक गणना 1977 में की गई थी। दूसरी 1980, तीसरी 1990, चौथी 1998 में की गई। 14 मई 2019 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभागियों को परिभाषाओं, प्रसंस्करण, डिजिटल प्रोजेक्ट और गणना करने वाले लोगों के लिए उपयोगी आवेदन के बारे में प्रशिक्षण भी दिया गया।

– कई लोग एनआरसी या सीएए का सर्वे समझ जानकारी नहीं दे रहे हैं। भ्रम की स्थिति बनी है। मारपीट तक करने पर आ जाते हैं। हमने इस संबंध में सांख्यिकी विभाग को सूचना दी है। कलेक्टर को भी अवगत कराएंगे। – अंकित वर्मा, जिला मैनेजर सीएससी
आंकड़े एक नजर में
१९६६३० आवास-व्यवसाय का करना है सर्वे
९८९९८ अब तक हुए
२६३ प्रगणक जुटे हैं सर्वे में

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