नगर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक कुल 17 हजार 757 आवेदन लग चुके हैं। पहली सूची में 6260 नाम स्वीकृत हुए। इसमें से 5555 मकान बन गए। बाकी निर्माणाधीन है, जबकि 68 ने बनाए नहीं। दूसरे चरण में 6260 नाम स्वीकृत हुए। जिनकी 42 करोड़ रुपए आ गए। इसमें अधिकांश को 1 लाख रुपए की पहली किस्त जारी की। बाकी कागजी कार्रवाई अधूरी रहने से रह गए। इसलिए निगम को रुपए लौटान पड़े। अब तीसरे फेस में 4968 नाम भी स्वीकृत हो गए, जिनकी राशि आना बाकी है।
लगातार नगर निगम में फर्जी तरीके से मकान निर्माण की शिकायत सामने आ रही है। जबकि 68 के करीब हितग्राही ऐसे हैं, जिन्होंने पहली किस्त लेने के बाद अब तक मकान निर्माण नहीं किए। अब निगम को इनसे रुपए वापस लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इसलिए निगम के अफसर अब नई केस करने से पहले पूरी तरह से जांच कर रहे हैं, किसी भी तरह की लापरवाही निगम को ही मुश्किल में डाल सकती है इसलिए पूरी जांच के बाद ही किस्त दे रहे हैं। इस चक्कर में 19 करोड़ निगम के हाथ से चले गए।
नगर निगम के आयुक्त भगवानदास भूमरकर ने कहा कि यह रुटीन की प्रक्रिया है। वीसी में उच्च अधिकारियों के निर्देश थे कि जिसके पास भी पैसा आकर रखा है, पैसा बांटने में किन्ही कारण से देरी हो रही है। वे रुपए वापस शासन के खाते में डाले। अगर समय पर काम हो रहा हैं, तो अफसरों ने यह भी कहा कि 6260 के बाद जो 4800 स्वीकृत हुए उसके भी रुपए ले लो। हमने 19 करोड़ लगभग शासन को वापस भेजे हैं। चार दिन बाद फाइल तैयार हो जाएगी तो तो उसे वापस मिल जाएंगे। आयुक्त ने कहा कि फाइल तैयार होने में देरी का कारण जीयो टेगिंग की कई बार क्रॉस चेक करना होता है, अधिकारी मौके पर जाकर देखते हैं। शिकवे शिकायत भी रहती है, एक बार पैसा चला गया तो लेना थोड़ा कठीन हो जात है। इसलिए पूरी जांच करके ही किस्त जारी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना में 68 नाम ऐसे हैं, जिन्होंने योजना के रुपए डकार गए और मकान बनाए तक नहीं है। नगर निगम ने ऐसे हितग्राहियों की सूची तैयार कर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सौंपने वाली है। इस कार्रवाई के लिए निगम कागज तैयार कर रही है।
पीएम आवास हितग्राहयों को किस्त डलने की खबर मिलने के बाद कई लोग आवास योजना के कार्यालय पहुंच गए। यहां लंबी लाइन लग गई। लेकिन अब इनके लिए भी निगम अब टैकस भरने का नियम बना दिया। कई लोगों से बकाया टैक्स जमा कर उसकी रसीद मांग रहे हैं।