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बुरहानपुर

किसानों की संख्या अनुसार नहीं पहुंची कीट निरोधी दवा, किसान परेशान

– शासन से मिलना है 50 प्रतिशत अनुदान

बुरहानपुरFeb 18, 2020 / 11:28 pm

tarunendra chauhan

pesticide

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बुरहानपुर. शासन की ओर से किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर मिलने वाली कीट नियंत्रण दवाइयों के लिए परेशान होना पड़ेगा। क्योंकि खकनार विकासखंड में किसानों की सं?या अनुसार दवाइयों तक नहीं पहुंची है। कृषि विभाग की ओर से खकनार में चना, मक्का एवं तुअर फसलों पर लगने वाली कीट नियंत्रण के लिए इल्ली मारने वाली दवाई का खकनार विकासखंड के 5 सेक्टरों में वितरण किया जाएगा।

सेक्टर सिरपुर, डोईफोडिय़ा, नेपानगर, तुकईथड़, दहिंदा में 340 किलों दवाई का वितरण होगी। हर सेक्टर को दवाई 68 किलों का आवंटित की गई है। शासन की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है। इल्ली मारने वाली दवाई की कीमत 360 है, शासन की अनुदान योजना के तहत किसान को मात्र 160 में 100 ग्राम एवं 320 में 200 ग्राम दवाई दी जाएगी। वरिष्ठ कृषि अधिकारी केआर पवार ने बताया कि पहले आओ, पहले पाओ वाला सिस्टम है। किसान जो पहले आएगा उसे दवा दी जाएगी। खकनार विकासखंड में 32 से 35 हजार किसान हैं। ऐसे में मात्र 1700 किसानों के लिए ही दवाई आई है। अब जो किसान पहले आएगा उसे यह दवा दी जाएगी। शासन के तरफ से जितना आया है उतना बाटेंगे। राष्ट्रीय दलहन विकास योजना अंतर्गत 50 प्रतिशत के अनुदान पर इस दवाई का वितरण होना है। वितरण कीटनाशक की कीमत 10 लाख 88 हजार है, जिसे शासन 50 प्रतिशत के अनुदान में वितरण करेंगे। एक सप्ताह के अंदर कीटनाशक का वितरण हो जाएगा।

हजारों किसानों को होगी परेशानी
खकनार क्षेत्र में 8 हजार से अधिक किसानों ने चने की बोवनी और 7 हजार से अधिक किसानों ने मक्का बोया है। ऐसे में शासन अगर 1700 किसानों को इल्ली मारने वाली दवाई कीटनाशक देंगी तो बाकी किसानों का क्या होगा। देड़तलाई क्षेत्र के पिपलपानी, धार, बेल्थड़, सगमली, मोंद्रा, रायतलाई, चिडिय़ामल, पिपरी, बोरबन, बालापाट, चौखंड़ा, साजनी, परेठा, गोंदरा सहित अन्य गांव के किसान शासन की योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। शासन के प्रचार प्रसार की कमी के कारण आदिवासी हजारों किसानों को तो यही ही नहीं मालूम की कृषि विभाग से कोई योजना के तहत बीज, दवाई मिलती है।

मंहगी कीमत में खरीदना होगी दवाई
फसलों पर होने वाली इल्ली मारने के लिए किसानों को कीटनाशक दवाई शासन की अनुदान योजना से नहीं मिलने के बाद बाजार से महंगे दामों पर खरीदना होता है। शासन के बाद क्षेत्र के किसानों का आंकड़ा होने के बाद भी अनुदान योजना में कीटनाशक दवाई को कम भेजना यह किसानों को समझ नहीं आ रहा है। जबकि क्षेत्र के अधिकारियों को भी आदिवासी किसानों की स्थिति मालूम है। ऐसे में शासन की कीट दवाई अनुदान योजना ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। अनुदान योजना से दवाई नहीं मिलने पर किसानों को परेशानियां होगी।

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