लघु उद्योग संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद फरीद ने कहा कि जीएसटी से व्यापारियों को बड़ा टेंशन है। वहीं बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों का भारत के कपड़ा बाजार पर सीधा असर हो रहा है। बांग्लादेश से सिले और बुने हुए कपड़ों के आयात में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार की कपड़ा उद्योग को लेकर गलत नीतियों के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का कपड़ा मंहगा हो गया। बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों से मुकाबले की चुनौती भी बड़ी समस्या है।
उद्योगपति सैयद फरीद ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के चलते कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मंदी होने से हमारा माल बाहर की मंडियों में नहीं जा पा रहा है। बुरहानपुर का कपड़ा मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, पाली, बलोतरा, जेतपुर असम, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में जाता है, लेकिन वर्तमान में सभी जगह मंाग प्रभावित हुई है। शहर में धोती, रूमाल, कफन और शर्टिंग-शूटिंग का कपड़ा तैयार किया जाता है। शहर में पावरलूम कारोबार से जुड़े लोगों को मास्टर वीवर्स कच्चा माल देते हैं। कच्चे मटेरियल का उपयोग करके पावरलूम मालिक कपड़ा तैयार करते हैं। मंदी के चलते कपड़े की मांग नहीं होने से सप्ताह में तीन दिन ही काम मिल रहा है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मास्टर वीवर्स और व्यापारियों के पास नकद राशि नहीं है।
एक पावरलूम मशीन पर 24 घंटे में 70 मीटर कपड़ा तैयार होता है। 30 प्रतिशत कपड़े का उत्पादन कम होने के बाद इसका सीधा असर पावरलूम कारखानों के मालिक एवं कार्य करने वाले मजदूरों पर पड़ रहा है। पावरलूम उद्योग शहर की आर्थिक नींव है। इससे 70 हजार से ज्यादा मजदूरों के घर चलते हैं। जीएसटी लगने के बाद अब अन्य राज्यों में जीएसटी नंबर के चक्कर में बड़े व्यापारी कपड़ा नहीं खरीद रहे हैं। यहां तक बुरहानपुर के व्यापारी भी अब तक जीएसटी के उलझन से बाहर नहीं आए हैं। जीएसटी नंबर, कम्प्यूटर में माल की एंट्री, टैक्स भरने का नया तरीका और अन्य बातों में वह उलझ गए हैं। उनका कहना है कि जीएसटी को हटाया जाए या फिर इसका सरलीकरण किया जाए। कई कागजी कार्रवाई व्यापारी को उलझा रही हैं। इस माथापच्ची से व्यापारी बाहर नहीं आ पा रहा है।
40 हजार पावरलूम शहर में
30 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन प्रतिमाह
1933 में शुरुआत हुई थी बुरहानपुर में पावरलूम की
70 हजार मजदूर जुड़े है पावरलूम से
सरकार की गलत नीतियों के चलते कपड़ा उद्योग पर भारी मंदी आ गई है। 30 प्रतिशत तक उत्पादन कम हो गया है। कपड़े की डिमांड नहीं होने से पावरलूम उद्योग वेंटिलेटर पर पहुंच गया है।
सैयद फरीद सेठ, उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश लघु उद्योग संघ
रियाज अहमद अंसारी, अध्यक्ष पावरलूम बुनकर संघ