script30 प्रतिशत घटा कपड़े का उत्पादन, 70 हजार लोगों पर रोजी-रोटी का संकट | Powerloom industry in burhanpur | Patrika News
बुरहानपुर

30 प्रतिशत घटा कपड़े का उत्पादन, 70 हजार लोगों पर रोजी-रोटी का संकट

मंदी के चलते करोड़ों रुपयों का कारोबार हो रहा प्रभावित, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बांग्लादेशी कपड़े की मांग बढऩे से भी समस्या

बुरहानपुरAug 26, 2019 / 04:53 pm

Jay Sharma

Powerloom industry in burhanpur

Powerloom industry in burhanpur

बुरहानपुर. शहर की धड़कन कहे जाने वाला पावरलूम उद्योग वेंटिलेटर पर पहुंच गया है। कपड़ा उद्योग पर मंदी का असर होने से बुनकरों के सामने परिवार का पालन पोषण करना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। यह संकट 5-10 बुनकर के लिए नहीं बल्कि 70 हजार लोगों के सामने खड़ा है। पिछले चार माह से बुनकरों को काम नहीं मिल रहा है। 30 प्रतिशत कपड़ा उत्पादन कम होने के बाद मजदूरों को सप्ताह में 3 से 4 दिन ही काम मिल रहा है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद से कपड़ा बाजार मंदी से जूझ रहा है। लाखों मीटर कपड़ा बनकर तैयार है, लेकिन बाजार में मांग नहीं होने से बड़े व्यापारी कपड़ा नहीं खरीद रहे हैं।
कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार की वित्तीय नीतियों का सबसे ज्यादा नुकसान कपड़ा उद्योग को हो रहा है। नोटबंदी के बाद जीएसटी के कड़े प्रावधानों ने इस उद्योग की कमर को तोड़ कर रख दिया है। कपड़ा उद्योग कीस्पिनिंग मिल प्रोसेस बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कई वस्तुओं पर जीएसटी घटाया गया, लेकिन उसका लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा। बुरहानपुर में तैयार होने वाले कपड़े की डिमांड लगातार कम होती जा रही है।
30 प्रतिशत तक उत्पादन कम होने के बाद कपड़ा खरीदी भी अभी पूरी तरह थम गई है। व्यापारी का कहना है कि मार्केट में कपड़े की कोई ग्राहकी नहीं है। वर्तमान में हालात यह है कि पावरलूम कारखानों को बिजली बिल भरना भारी पड़ रहा है। मंदी के चलते कच्चा माल नहीं मिलने पर पावरलूम मजदूर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
श्रमिकों का कहना है कि सरकार हम मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने का वादा करती है, लेकिन दम तोड़ रहे उद्योगों को बढ़ावा देने की ओर ध्यान नहीं दे रही है, जिसके कारण सातों दिन काम नहीं मिलने के कारण परिवार का भरण-पोषण भी मुश्किल हो रहा है। सरकार इस ओर ध्यान दे ताकि सातों दिन काम मिल सके।
बाजार में बांग्लादेशी कपड़े की मांग बढ़ी
लघु उद्योग संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद फरीद ने कहा कि जीएसटी से व्यापारियों को बड़ा टेंशन है। वहीं बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों का भारत के कपड़ा बाजार पर सीधा असर हो रहा है। बांग्लादेश से सिले और बुने हुए कपड़ों के आयात में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार की कपड़ा उद्योग को लेकर गलत नीतियों के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का कपड़ा मंहगा हो गया। बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों से मुकाबले की चुनौती भी बड़ी समस्या है।
बाहर भी नहीं जा रहा माल
उद्योगपति सैयद फरीद ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के चलते कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मंदी होने से हमारा माल बाहर की मंडियों में नहीं जा पा रहा है। बुरहानपुर का कपड़ा मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, पाली, बलोतरा, जेतपुर असम, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में जाता है, लेकिन वर्तमान में सभी जगह मंाग प्रभावित हुई है। शहर में धोती, रूमाल, कफन और शर्टिंग-शूटिंग का कपड़ा तैयार किया जाता है। शहर में पावरलूम कारोबार से जुड़े लोगों को मास्टर वीवर्स कच्चा माल देते हैं। कच्चे मटेरियल का उपयोग करके पावरलूम मालिक कपड़ा तैयार करते हैं। मंदी के चलते कपड़े की मांग नहीं होने से सप्ताह में तीन दिन ही काम मिल रहा है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मास्टर वीवर्स और व्यापारियों के पास नकद राशि नहीं है।
बिजली का बिल भरना भी मुश्किल
एक पावरलूम मशीन पर 24 घंटे में 70 मीटर कपड़ा तैयार होता है। 30 प्रतिशत कपड़े का उत्पादन कम होने के बाद इसका सीधा असर पावरलूम कारखानों के मालिक एवं कार्य करने वाले मजदूरों पर पड़ रहा है। पावरलूम उद्योग शहर की आर्थिक नींव है। इससे 70 हजार से ज्यादा मजदूरों के घर चलते हैं। जीएसटी लगने के बाद अब अन्य राज्यों में जीएसटी नंबर के चक्कर में बड़े व्यापारी कपड़ा नहीं खरीद रहे हैं। यहां तक बुरहानपुर के व्यापारी भी अब तक जीएसटी के उलझन से बाहर नहीं आए हैं। जीएसटी नंबर, कम्प्यूटर में माल की एंट्री, टैक्स भरने का नया तरीका और अन्य बातों में वह उलझ गए हैं। उनका कहना है कि जीएसटी को हटाया जाए या फिर इसका सरलीकरण किया जाए। कई कागजी कार्रवाई व्यापारी को उलझा रही हैं। इस माथापच्ची से व्यापारी बाहर नहीं आ पा रहा है।
शहर में पॉवरलूम उद्योग की स्थिति
40 हजार पावरलूम शहर में
30 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन प्रतिमाह
1933 में शुरुआत हुई थी बुरहानपुर में पावरलूम की
70 हजार मजदूर जुड़े है पावरलूम से

सरकार की गलत नीतियों के चलते कपड़ा उद्योग पर भारी मंदी आ गई है। 30 प्रतिशत तक उत्पादन कम हो गया है। कपड़े की डिमांड नहीं होने से पावरलूम उद्योग वेंटिलेटर पर पहुंच गया है।
सैयद फरीद सेठ, उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश लघु उद्योग संघ
मंदी के चलते पावरलूम बुनकरों के हालात बहुत खराब चल रहे हैं। उन्हें सप्ताह में तीन दिन ही काम मिल रहा है। परिवार पालना एवं बिजली बिल भरना मुश्किल हो रहा है।
रियाज अहमद अंसारी, अध्यक्ष पावरलूम बुनकर संघ

Home / Burhanpur / 30 प्रतिशत घटा कपड़े का उत्पादन, 70 हजार लोगों पर रोजी-रोटी का संकट

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो