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राहत इंदौरी : अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है, यह सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है

locationबुरहानपुरPublished: Jan 19, 2020 11:14:35 am

Submitted by:

ranjeet pardeshi

राहत इंदौरी ने पढ़ी शायर, अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है, यह सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है. 50 मिनट तक राहत इंदौरी ने पढ़े अपने शेर

राहत इंदौरी ने पढ़ी शायर, अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है, यह सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है

राहत इंदौरी ने पढ़ी शायर, अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है, यह सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है

बुरहानपुर. जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना। जब यह शेर राहत इंदौरी में पढ़ा तो कार्यक्रम तालियों की आवाज से गूंज उठा। मौका था इंदिरा कॉलोनी परमानंद गोविंदजीवाला ऑडिटोरियम में एक शाम राहत इंदौरी के नाम कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का।
शनिवार रात 11.28 पर राहत इंदौरी मुशायरा पढऩे के लिए मंच पर पहुंचे। रात 12 बजे तक देश भक्ति और मोहब्बतों के शेर पड़े। जहालत (अज्ञानता) मिटा कर लौट आया, मैं आज सारी किताबें जलाकर लौट आया, खबर मिली है के सोने निकल रहे है वहां, मैं जिस जमीन पर ठोकर लगा कर आया हूं, वह चाहता था कासा खरीद ले मेरा, मैं उसके ताज की कीमत लगा कर आया हूं। हो मोहब्बत तो मोहब्बत की नजर जैसी हो, यह जो बिखरी हुई दुनिया है वह घर जैसी हो।
अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है, यह सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे सभी मका जद में यहां सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
जो आज साहिबे मसनद है कल नहीं होंगे किराएदार है जाती मकान थोड़ी है।
कविओं और शायरों ने गीत, गजल, काव्य पाठ और मुशायरे की प्रस्तुति दी। राहत इंदौरी, नईम अख्तर, रमेश धुआधार, जॉनी बैरागी, रविंद्र रवि, निशा पंडि़त, मणिका दुबे ने कविताएं पढ़ी। रात सवा बारह बजे तक कार्यक्रम चला। जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद हुए।
कवि रमेश शर्मा धुआंधार ने कहा कि गम को खुशी बना दू तो कोई बात बने, गम को उजाला दिखा दू तो कोई बात बने, बातें बहुत करते हो जन्नत की तुम, इस जमी की जन्नत बना दू तो कोई बात नहीं। कवि निशा पंडित ने कहा बेटी को बेटा कह देना बेशक कोई पाप नहीं, किंतु कुल में बेटी जन्मे चाहते क्यों आप नहीं, घर में बेटियां है तो घर नहीं वो मंदिर है, लगता जैसे स्वयं शरदे मंगलाचरण गाती है।

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