घर-घर ताप्ती का नदी का पानी पहुंचाने के लिए शहर में पिछले दो साल से ताप्ती जलावर्धन योजना पर काम चल रहा है। शहरवासियों को काम दिखाने के लिए पहले मेन पाइप लाइन और घर-घर तक पाइप लाइन पहुंचाने का काम शुरू कर दिया, लेकिन जो मुख्य काम है वॉटर ट्रीटमेंट और डेम निर्माण का काम में देरी कर दी।
योजना की पूरी हकीकत
ताप्ती जलावर्धन योजना में निगरानी रख रही सरकारी एजेंसी मप्र अर्बन डेवलमेंट का कहना है कि जल आवर्धन 45 प्रतिशत काम अभी हुआ है। घर-घर पाइप लाइन पहुंचाने का काम 50 प्रतिशत तक हो चुका है। 43 हजार कुल घरों के कनेक्शन जोडऩा है, 4 हजार का कनेक्शन अभी जोड़कर यहां रोड का रेस्टोरेशन हो गया। इसे टेस्टिंग कर जोड़ा जा रहा है। जहां भी पाइप जोड़े गए हैं। वहां पानी का फोर्स देकर देखते हैं। लीकेज है तो फिर इसे सही करते हैं। ऐसे 35 प्रतिशत काम की टेस्टिंग होने की बात कही गई। मेन लाइन जो बसाड़ से शहर तक आई है। उसका काम 90 प्रतिशत हो गया है। कंपनी को 31 मार्च तक समय बढ़ाया था, लेकिन अब भी काम समय पर नहीं हो सकेगा। इसलिए अब नगरीय प्रशासन से फिर छह माह का एक्सटेंशन मांगा जाएगा। टंकी निर्माण की बात करें तो तीन टंकी पूरी तरह बन चुकी है, बाकी में स्लेब डालने का काम बाकी है।
ऐसे हुआ था अनुबंध
योजना को लेकर भोपाल में विश्व बैंक से समझौता हुआ था। अनुबंध में तय हुआ कि योजना में प्रति व्यक्ति के मान से 3431 रुपए खर्च आएगा। इसके हिसाब से 131.39 करोड़ की योजना बनी।
ऐसे आकार लेगा बसाड़ पर डेम
बसाड़ गांव में ताप्ती नदी के बीच 10.50 एमसीएम का स्टाप डेम बनेगा। तापीश्वर हनुमान मंदिर के पास 12.50 हैक्टेयर जमीन है। यहां 50 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार होगा। डेम से ताप्ती का पानी प्लांट में शुद्ध किया जाएगा। डेम से 25 किमी लंबाई के राईजिंग मेन टंकियों तक पहुंचाएंगे। शहरभर में लगभग 182 किमी लंबी पाइप लाइन बिछना है। शहर के 48 वार्डों को 11 जोन में विभाजित किया है। जिसे अलग-अलग 11 मीटर ऊंची ओवर हेड टैंक से जोड़ा है। शहर में 8 नई टंकियों का निर्माण किया जा रहा है। 3 पुरानी टंकियों का इस योजना में उपयोग किया जाएगा। कुल 11 टंकियों से शहभर में जल वितरण करेंगे।
2045 तक का है प्लान
30 साल बाद 2045 तक की 3 लाख 85 हजार की अनुमानित जनसंख्या को ध्यान में रखकर 131.49 करोड़ की जल आवर्धन योजना को तैयार किया है। लोगों को अब मात्र 3 रुपए में 1000 लीटर फिल्टर पानी देंगे।
यह थी समय सीमा
11 मई 2017 से काम शुरू हो जाना था, जो 12 मई 2019 तक पूरा हो जाना था, बाद में फिर 31 मार्च तक का समय लिया गया। अब कंपनी और छह माह काम के लिए मांग रही है।
इसलिए होती है परेशानी
पूरा शहर ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर है। गर्मी आते ही भू जल स्तर गिरने लगता है। इससे पानी की आपूर्ति कम हो जाती है। टैंकरों से पानी सप्लाय की नौबत आ जाती है। ताप्ती किनारे बने ट्यूबवेल भी ताप्ती सूखने से दम तोड़ देते हैं। हालांकि इस बार कलेक्टर ने बोरीबंधान करवाया जा रहा है, ताकि बोर रिचार्ज हो सके।
31 मार्च तक समय सीमा थी, लेकिन छह माह और लगेंगे। इसके लिए कंपनी नगरीय प्रशासन से अप्लाय करेंगी। मुख्य रूप से ट्रीटमेंट और डेम का काम बाकी है।
– संदीप कुमार, सब इंजीनियर मप्र डेवलपमेंट कंपनी