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यार्न के भाव में उछाल, कपड़े का उत्पादन घटा

locationबुरहानपुरPublished: Jan 08, 2018 05:52:12 pm

Submitted by:

ranjeet pardeshi

७५ लाख रुपए प्रतिदिन का व्यापार प्रभावित, उद्योगपतियों ने कहा जब तक बाजार में कपड़ा भाव बढ़कर नहीं मिलता उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे

Yarn boom production of clothing decreased

Yarn boom in burhanpur

बुरहानपुर. नोटबंदी और जीएसटी के बाद जैसे-तैसे उद्योग की गाड़ी पटरी पर लौटी थी कि अब यार्न के भाव ने शहर के उद्योग को प्रभावित कर दिया। अचानक रेट बढऩे के कारण कपड़े की उत्पादन लागत बढ़ गई, लेकिन बढ़े रेट का भाव बाजार में नहीं मिल रहा है। न ही कपड़े की अधिक डिमांड है। प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ का कारोबार पौने चार करोड़ रुपए पर आ गया। कम उत्पादन के चक्कर में बुनकर से लेकर मजदूरों पर असर पड़ा है।
शहर में टेक्सटाइल बाजार जीएसटी के बाद दीवाली से वापस जोर पकडऩे लगा था। दिसंबर तक सब कुछ बेहतर था, लेकिन नए साल की शुरुआत होते ही यार्न के भाव में तेजी आने से खासा असर पड़ा है। यार्न के भाव पर ५० रुपए प्रतिकिलो बढ़ गए। इस चक्कर में एक मीटर कपड़े में लगने वाली उत्पादन लागत साढ़े १६ रुपए की पड़ रही है, जबकि बाजार भाव १६ रुपए पड़ रहा है। पचास पैसे प्रति मीटर पर नुकसान हो रहा है। कपड़े की अधिक डिमांड भी नहीं है। इसलिए उद्योगपतियों ने उत्पादन घटा दिया। उद्योगपतियों ने कहा कि जब तक यार्न के भाव कमजोर नहीं होते या बाजार में कपड़ा भाव बढ़कर नहीं मिलता उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे।
सायजिंग प्रोसेस में भी काम ठंडा
बुरहानपुर में पावरलूम से बनने वाला कपड़ा सायजिंग और प्रोसेस में जाता है। यहां अस्तर और बेड शीट का कपड़ा तैयार होता है। जब माल लूम पर ही तैयार नहीं हो रहा है, तो यहां पर भी काम प्रभावित हुआ है। जिस हिसाब से यार्न के भाव बढऩे के बाद कपड़े के भाव मिलना चाहिए, वैसा नहीं रहा।
ये है मुख्य कारण
यार्न व्यापारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि कई राज्यों में कपास फसल को नुकसान हुआ। इसलिए कपास उत्पादन घटने से इसका असर यार्न पर पड़ा है। देशभर में ३ करोड़ ८० लाख कॉटन गठान उत्पादन का अनुमान था, जो ३ करोड़ २५ लाख कॉटन गठान का उत्पादन हुआ है।
यहां जाता है कपड़ा
मुंबई, पाली, बलोतरा, जेतपुर तक बुरहानपुर का कपड़ा जाता है। इसके अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में बुरहानपुर के माल जाता है।
ये हो रहा उत्पादन
एक लूम पर २४ घंटे में ९० मीटर कपड़ा बनाता था, जो अब घटकर ६० मीटर कपड़ा उत्पादन कर दिया। बुरहानपुर में कुल ३५ हजार पावरलूम है। जहां करीब ८ से १० लाख मीटर प्रतिदिन कपड़े का उत्पादन घट गया है। हालांकि अभी मजदूरों पर कोई आर्थिक संकट नहीं है। काम कम होने पर भी उद्योगपतियों ने उनकी मजदूरी नहीं घटाई है। क्योंकि उद्योगपतियों का कहना है कि संक्रांति के बाद वापस रफ्तार पर बाजार आ जाएगा।
यार्न के भाव में बहुत तेजी आ गई है। मुख्य कारण कई राज्यों में कपास फसल खराब होना है। कपड़े बेचने पर ५० से ६० पैसे का नुकसान हो रहा है। संक्रांति के बाद वापस उद्योग पटरी पर आ जाएगा।- प्रदीप तोदी, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती
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