बुरहानपुर में पावरलूम से बनने वाला कपड़ा सायजिंग और प्रोसेस में जाता है। यहां अस्तर और बेड शीट का कपड़ा तैयार होता है। जब माल लूम पर ही तैयार नहीं हो रहा है, तो यहां पर भी काम प्रभावित हुआ है। जिस हिसाब से यार्न के भाव बढऩे के बाद कपड़े के भाव मिलना चाहिए, वैसा नहीं रहा।
ये है मुख्य कारण
यार्न व्यापारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि कई राज्यों में कपास फसल को नुकसान हुआ। इसलिए कपास उत्पादन घटने से इसका असर यार्न पर पड़ा है। देशभर में ३ करोड़ ८० लाख कॉटन गठान उत्पादन का अनुमान था, जो ३ करोड़ २५ लाख कॉटन गठान का उत्पादन हुआ है।
यहां जाता है कपड़ा
मुंबई, पाली, बलोतरा, जेतपुर तक बुरहानपुर का कपड़ा जाता है। इसके अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में बुरहानपुर के माल जाता है।
एक लूम पर २४ घंटे में ९० मीटर कपड़ा बनाता था, जो अब घटकर ६० मीटर कपड़ा उत्पादन कर दिया। बुरहानपुर में कुल ३५ हजार पावरलूम है। जहां करीब ८ से १० लाख मीटर प्रतिदिन कपड़े का उत्पादन घट गया है। हालांकि अभी मजदूरों पर कोई आर्थिक संकट नहीं है। काम कम होने पर भी उद्योगपतियों ने उनकी मजदूरी नहीं घटाई है। क्योंकि उद्योगपतियों का कहना है कि संक्रांति के बाद वापस रफ्तार पर बाजार आ जाएगा।