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कारोबार

जीएसटी रिफॉर्म बन सकता है वरदान, अगर हो जाएं ये बदलाव

राजेश गुप्ता, चीफ टेक्निकल ऑफिसर बिजी इन्फोटेक

नई दिल्लीApr 27, 2018 / 11:27 am

manish ranjan

GST
नई दिल्ली। जीएसटी को लागू हुए लगभग एक साल होने वाला है। वहीं अब ई- वे बिल को भी मंजूरी मिल चुकी है। जीएसटी जैसा रिफॉर्म देश के लिए अब भी नया है। ऐसे में कारोबारियों को अभी भी इसे पूरी तरह समझने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी समस्या को दूर करने के लिए बाजार में आज कई तरह के सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जिसके जरिए कारोबारी आसानी से अपना जीएसटी रिटर्न समय से भर सकते हैं। बाजार में मौजूद कई सॉफ्टवेयर में से एक बिजी सॉफ्टवेयर भी है। जो कारोबारियों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। पत्रिका के मनीष रंजन ने बिजी इन्फोटेक के चीफ टेक्निकल ऑफिसर राजेश गुप्ता से इसी विषय पर खास बातचीत की… आइए जानते हैं जीएसटी और ई-वे बिल से कारोबारियों को कितनी मदद मिली है और इसके लिए बिजी सॉफ्टवेयर कितना मददगार है।
Q.1 जीएसटी लागू होने के बाद बाजार में अकाउंटिंग साफ्टवेयर की कितनी मांग बढी है ?
A. जीएसटी लागू होने के बाद देश में अकाउंटिंग साफ्टवेयर और सर्विसेज की मांग 3 से 4 गुणा तक बढ़ चुकी है। इसके अलावा जीएसटी ट्रेंड ऑपरेटर्स और अकाउंटेंट्स की डिमांड मे भी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
Q.2 बाजार में मौजूद अन्‍य सॉफ्टवेयर्स की तुलना में बिजी सॉफ्टवेयर कैसे अलग है ?
खासकर जीएसटी फाइलिंग एवं इ-वे बिल की प्रकिया को देखते हुए।
A. बिजी सॉफ्टवेयर को कोई भी कारोबारी बिना अकाउंटिंग की जानकारी के भी इस्तेमाल कर सकता है। इसमें कोई भी कारोबारी आसानी से जीएसटी इनवॉयस बना सकता है और रिटर्न फाइल कर सकता है। अगर कोई डाटा एंट्री गलत हो जाए तो यह सॉफ्टवेयर उसे तुरंत पकड़ लेता है और उसे ठीक करने के लिए इंडिकेट करता है। बिजी सॉफ्टवेयर को आसानी से समझने के लिए और इस पर कार्य करने के लिए हिंदी में कई डॉक्युमेंट्स और वीडियो भी इसके साथ उपलब्‍ध कराए जाते हैं। जिससे जीएसटी रिटर्न भरने और ई-वे बिल बनाने की पूरी प्रक्रिया को आसानी से समझा जा सकता है।
Q. 3 जीएसटी को लागू हुए एक साल से भी ज्यादा हो गया है। आज भी छोटे और मंझोले स्‍तर के ज्‍यादातर व्‍यापारी जीएसटी की पेचिदगियों से परेशान नजर आते हैं। आपकी राय में समस्‍या कहां है? जीएसटी फाइल करने की प्रक्रिया में, इसके नियमों को समझने में या फिर कुछ और।
A. देखिए, मेरा मानना है कि जीएसटी के नियम और रिटर्न फाइल की प्रक्रिया दोनो ही थोड़ी कठिन हैं। जीएसटी के नियम समझने के लिए आपको अकाउंटिंग की अच्छी समझ होनी चाहिए और रिटर्न फाइल करने के लिए आपके पास कंप्युटर का ज्ञान होना चाहिए। जो कि छोटे कारोबारियों में कम है। क्योंकि छोटे कारोबारियों को सारा काम खुद ही करना होता है। ऐसे में सॉफ्टवेयर उनकी मदद करता है।
Q. 4 देश में ऐसी व्‍याव‍सायिक यूनिट्स बहुतायत में हैं, जहां नियमित रूप से अकाउंटिंग स्‍टाफ नहीं होता, ऐसी कंपनियां फ्री-लांसर्स या पार्ट टाइमर्स या चार्टेड अकाउंटेंट की सेवाएं लेती रही हैं, अब जीएसटी आने के बाद ऐसी यूनिट्स के लिए क्‍या महज अकाउंटिंग साफ्टवेयर कारगर साबित हो सकता है?
A. अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर सीए या अकाउंटेंट्स को पूरी तरह से तो रिप्लेस नहीं कर सकता। लेकिन उनके रोजमर्रा के कारोबार में काफी मदद करता है। मसलन, ठीक तरीके से इनवॉयस बनाना, जीएसटी का सही केलकुलेशन, पार्टी का जीएसटीएन वेलिडेट करना, ई-वे बिल बनाना, सहित कई चीजें बिजी सॉफ्टवेयर के जरिए आसानी से की जा सकती हैं। अगर आप ये सारे काम खुद कर लेते हैं तो उसके बाद कोई भी सीए या अकाउंटेंट आपका रिटर्न आसानी से र्फाइल कर सकता है।

Q.5 जीएसटी लागू होने से पहले और लागू होने के बाद बाजार में आप क्‍या मुख्‍य बदलाव देखते हैं ?
A. मौजूदा दौर में भी कई कारोबारी परेशान और डरे हुए दिखते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब लोग अपना काम सही तरीके से करना चाहते हैं। बस उन्हें जीएसटी सही तरीके से समझ आ जाए।
Q.6 अकाउंटिंग साफ्टवेयर के एक बडे लीडर होने के नाते आपको जीएसटी प्रक्रिया में क्‍या खामी नजर आती है ?

A. जीएसटी देश के लिए एक रिफॉर्म है। ये एक ऐसा टैक्स सिस्टम है जिससे काफी सारी चीजें आसान हो सकती हैं। बशर्ते इसके कानून थोडे औऱ आसान हो जाएं। साथ ही एक अच्छी हेल्पलाइन की दरकार भी है जहां आपको जीएसटी से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं के लिए जानकारी बिना किसी परेशानी के मिल सके।
Q. 7 इस प्रक्रिया को सरल करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं।
A. नियम अगर आसान हों तो कोई भी कारोबारी बिना किसी अकाउंटिंग की जानकारी के जीएसटी को समझ सकता है। मेरे हिसाब से इसकी रिटर्न फाइलिंग भी आसान हो सकती है। जैसे कि इनवॉयस लैबल डिटेल की जगह पार्टी वाइज समरी अपलोड की जा सके। साथ ही एचएसएन कोड पर बहुत ज्यादा जोर नहीं होना चाहिए। वहीं रिपोर्टिंग एचएसएन के अनुसार न होकर टैक्स रेट के अनुसार ही हो सकती है। इसके अलावा आरसीएम को और आसान बनाया जा सकता है जैसा कि यूएई समेत कुछ देशों में है। अगर इस तरह के बदलाव हो सकें तो निश्चित तौर पर जीएसटी देश के लिए वरदान साबित हो सकता है।

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