इसी तरह छोटे शहरों के लिए यह सीमा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। यानी शहरी क्षेत्रों में 35 लाख रुपए से कम वाले कर्ज के लिए पीसीएल की अनिवार्यता में आ जाएगा। इस कदम से उपभोक्ता योजना के सभी लाभ का फायदा उठाते हुए अब ज्यादा बड़े मकान खरीद सकेंगे। इस छूट के अलावा सरकार ने घर खरीदारों को नए अधिकार भी दिए हैं, जिससे सपनों को पूरा करना अब और भी सुरक्षित हो गया है।
इस तरह उठाएं फायदा
अगर आप प्रधानमंत्री आवास योजना में क्रेडिट लिंक्ड सिक्योरिटी स्कीम (सीएलएसएस) के तहत लोन पर सब्सिडी लेना चाहते हैं, तो इसके लिए लोन की रकम और दरें तय हैं। अगर आप सीएलएसएस स्कीम में तय रकम से ज्यादा लोन लेते हैं, तो ऐसी स्थिति में इससे ज्यादा रकम पर आपको बैंक की तय ब्याज दर ही चुकानी पड़ेगी। पीएसएल के तहत आने के बाद लोन की रकम बढ़ने पर घर खरीदने का बोझ बढ़ेगा नहीं बल्कि कम ही होगा।
पीएसएल में ब्याज दरें कम
पीएसएल के तहत दिए जाने वाले लोन पर ब्याज की दरें भी सामान्य लोन की अपेक्षा कम होती है। मतलब अगर आप घर पीएसएल के दायरे में आकर घर खरीद करते हैं तो इस पर लगने वाला ब्याज सामान्य तौर पर लगने वाले ब्याज से कुछ कम होगा। पीएसएल के तहत होम लोन की ब्याज दर 7 से 8 फीसदी के बीच है। इसकी दरें आरबीआई समय-समय पर जारी करता है।
ज्यादा सुरक्षित हुए घर खरीदार
राष्ट्रपति द्वारा इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में बदलाव को मंजूरी मिलने के बाद घर खरीदारों का पैसा अब ज्यादा सुरक्षित हो गया है। इस संशोधन में घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा मिलेगा। यानी अगर ग्राहक को घर का पजेशन नहीं मिला है और इस बीच बिल्डर दिवालिया हो जाता है तो खरीदारों को नुकसान नहीं होगा। जब बिल्डर की संपत्ति बेची जाएगी तो घर खरीदारों को भी उसमें हिस्सा दिया जाएगा।