लेकिन अब रेल बजट इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा, क्योंकि केंद्रीय कैबिनेट ने रेल बजट को आम बजट का ही हिस्सा बनाकर पेश किए जाने पर अपनी मुहर लगा दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कैबिनेट के इस अहम फैसले की जानकारी दी।
वित्त मंत्री जेटली ने दी जानकारी दिल्ली में बुधवार को मोदी कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस दौरान अगले साल आम बजट के साथ ही रेल बजट को पेश करने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है। इसके साथ ही रेल बजट भारत की संसदीय प्रणाली के इतिहास में अतीत का हिस्सा बन गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “1924 में यह परंपरा शुरू हुई थी। नीति आयोग ने इस बारे में एक कमेटी बनाई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट में रेल बजट और आम बजट को एक करने की सलाह दी।”
‘काम में स्वायत्तता बरकार रहेगी’ वित्त मंत्री जेटली ने रेल बजट के विलय की जानकारी देते हुए कहा, “रेल बजट और आम बजट अब मिलाकर होगा। देश का केवल एक बजट होगा।” इस दौरान रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी उनके साथ मौजूद रहे। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी कहा कि रेल मंत्रालय की स्वायत्तता में कोई दखल नहीं होगा। जेटली ने कहा, “एक बजट होने के बावजूद इसकी (रेल बजट) कार्यात्मक स्वतंत्रता को बरकरार रखा जाएगा।” जेटली ने इस दौरान यह भी कहा कि रेलवे के खर्च पर अलग से चर्चा की जाएगी।
1924 में पहला रेल बजट केंद्र सरकार ने रेलवे बजट को हर साल संसद में अलग से पेश करने की दशकों पुरानी प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया है। अब अगले वित्त वर्ष से रेल बजट आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा। इसके साथ ही 92 साल से चली आ रही परंपरा को 2017 में खत्म हो जाएगी। पहली बार रेल बजट 1924 में पेश किया गया था।
रेल बजट को अलग पेश न करने और आम बजट का हिस्सा बनाने पर वित्त मंत्रालय पहले ही राजी हो गया था। वित्त मंत्रालय ने सही फैसले पर पहुंचने के लिए पांच सदस्यों की टीम बनाई थी। टीम की रिपोर्ट पर ही अंतिम रूप से यह निर्णय लिया गया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी राज्यसभा में कहा था कि उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से रेल बजट को खत्म करने को कहा है। प्रभु ने कहा था कि इससे आने वाले वक्त में देश को आर्थिक फायदा होगा।