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खाते में कब आएगा EPF का पैसा, जानिए जमा रकम पर कितना मिलेगा ब्याज

सरकार ने हाल में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने EPF का रेट घटाने का फैसला किया। ऐसे में नए बदलाव के साथ मौजूदा रेट 8.1 हो गया है, जो पहले 8.5 था। ईपीएफओ के सुझाए 8.5 परसेंट की दर 1977-78 के बाद से रिटायरमेंट फंड में जमा की गई सबसे कम ब्याज दर है।

Mar 16, 2022 / 05:01 pm

धीरज शर्मा

EPF Interest Rate When suscribers will Get PF Interest and what will be Interest Rate

EPF रेट को हाल में कम कर दिया गया है। यही वजह है कि EPF मेंबर इस वित्त वर्ष के ब्याज का पैसा जल्द से जल्द अपने खाते में जमा देखना चाहते हैं> ईपीएफओ ने 2020-21 में अपने ग्राहकों को पिछले साल की तरह ही 8.5 फीसदी ब्याज दर (PF Interest Rate) का भुगतान किया। ईपीएफ दर 2018-19 में 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी। जबकि 2016-17 में ईपीएफ की ब्याज दर 8.65 फीसदी थी। अब वित्त मंत्रालय मंजूरी दे दे तो ईपीएफ पर 8.1 परसेंट ब्याज मिलेगा. अगर मंजूरी नहीं मिली तो 8.5 परसेंट ब्याज बना रहेगा। सभी जहन में ये सवाल है कि उनके खाते में पैसा कब और कितना जमा होगा।

खाते में कब जमा होगा ब्याज

ब्याज दर के बारे में ईपीएफओ ने कहा है, केंद्रीय बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021-22 (31 मार्च, 2022 को समाप्त) के लिए ईपीएफ मेंबर के खातों में ईपीएफ जमा पर 8.10 प्रतिशत सालाना ब्याज दर जमा करने की सिफारिश की है।

बयान में कहा गया है, ब्याज दर को आधिकारिक तौर पर सरकारी गजेट में नोटिफाई किया जाएगा, जिसके बाद ईपीएफओ अपने ग्राहकों के खातों में ब्याज दर जमा करेगा।

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बता दें कि ईपीएफओ के सुझाए 8.5 परसेंट की दर 1977-78 के बाद से रिटायरमेंट फंड में जमा की गई सबसे कम ब्याज दर है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में बैठक के बाद 8.1 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की थी। यह सिफारिश वित्त मंत्रालय के पास भेजी गई है जहां से दर में बदलाव पर फैसला होना है।

इस वजह से कम हुआ PF Interest

ब्याज दरें ईपीएफओ की जमा राशि पर रिटर्न के आधार पर तय की जाती हैं। जहां ईपीएफओ फंड में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है, वहीं ब्याज आय में सिर्फ 8 फीसदी का इजाफा हुआ है। सीबीटी के एक सदस्य ने कहा कि ब्याज दर निर्धारण भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है।

ब्याज दर अधिक हो तो अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकते है, अगर कम हो तो कठिनाई के बारे में इशारा मिलता है। कोरोना के चलते पिछले 3 साल से अर्थव्यवस्था में ढिलाई देखी जा रही है।

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