आम भागीदारी से बढ़ी जीडीपी
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण जीडीपी की दर गिरकर 5.7 फीसदी पर आ गई थी, जो नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत जीडीपी की सबसे कम वृद्धि दर है। इससे पहले साल 2014 में जनवरी-मार्च के दौरान यह गिरकर 4.6 फीसदी पर आ गई थी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक जीएसटी से संबंधित अनुपालन भार को कम करने तथा कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों, बैंकों के पुनर्पूजीकरण की योजना और अवसंरचना क्षेत्र पर जोर को सर्वेक्षण में शामिल भागीदारों द्वारा स्वीकार किया गया है, जिससे जीडीपी में सुधार हुआ है।
वित्तीय घाटा बढ़कर 5.2 लाख करोड़ रुपए पहुंचा
हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में वित्तीय घाटा बजट टारगेट का 96 फीसदी पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिकअप्रैल-अक्टूबर में वित्तीय घाटा बढ़कर 5.2 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पिछली छमाही में ये 4.2 लाख करोड़ रुपए था। खर्च में भी इजाफा हुआ है जो 1.2 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपए रहा है। वहीं टैक्स के जरिए सरकार को 1.39 लाख करोड़ रुपए की रकम मिले जो पिछली छमाही में 1.23 लाख करोड़ रुपए था। सरकार की आय घटी है और ये 1.47 लाख करोड़ से घटकर 1.17 लाख करोड़ रुपए रह गई है।
रेवेन्यू 7.29 लाख करोड़
डाटा के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर तक सरकार को कुल 7.29 लाख करोड़ रुपए रेवेन्यू मिला। यह बजट अनुमान का 48.1 फीसदी है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 15.15 लाख करोड़ रुपए रेवेन्यू का टारगेट रखा है। जबकि पिछले वित्त वर्ष में अक्टूबर तक सरकार को टारगेट का 50.7 फीसदी रेवेन्यू हासिल हुआ था।
कुल खर्च 12.92 लाख करोड़
पहले 7 महीने में सरकार का कुल खर्च भी बढ़ा है। अप्रैल से अक्टूबर तक सरकार का कुल खर्च 12.92 लाख करोड़ रहा है जो बजट अनुमान का 60.2 फीसदी है। पिछले फाइनेंशियल ईयर के पहले 7 महीने में सरकार का खर्च बजट अनुमान का 58.2 फीसदी था।
3.2 फीसदी है फिस्कल डेफिसेट का टारगेट
सरकार ने बजट में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के लिए जीडीपी की तुलना में 3.2 फीसदी का फिस्कल डेफिसेट का टारगेट का अनुमान जताया है। जबकि, पिछले फाइनेंशियल ईयर में यह जीडीपी का 3.5 फीसदी रहा था।