वर्ष 1918 में शेवरले की बिक्री के जरिए जनरल मोटर्स ने पहली बार भारतीय बाजार में अपनी धमक दी थी। कंपनी ने 1928 में बॉम्बे में एक फैक्ट्री खोली लेकिन 1958 में अन्य विदेशी वाहन निर्माता कंपनियों के साथ इसने भी भारत से विदाई ले ली।
कई वर्षों बाद जनरल मोटर्स दोबारा 1995 में यहां आई लेकिन काफी जद्दोजेहद के बाद भी भारत के तेजी से उभरते बाजार में एक फीसदी से भी कम हिस्सा बना पाई और अब अंतत: इसने 22 साल बाद दोबारा भारतीय बाजार को अलविदा कह दिया है। कंपनी ने गुरुवार को इस बात घोषणा की और अपने कर्मचारियों को भी इसकी जानकारी दी। कंपनी भारत में बस अपना एक ही ब्रांड शेवरले बेचती है।
जनरल मोटर्स ने बताया कि वह बेंगलुरू स्थित अपने टेक्नोलॉजी सेंटर को संचालित करती रहेगी और भारत में अपने उत्पादन पर ध्यान देगी। कंपनी के दो असेंबली प्लांट भारत में है और वह मुंबई से 62 मील दूर स्थित तालेगांव स्थित अपने प्लांट से सिर्फ निर्यात किए जाने वाले वाहनों की आपूर्ति की योजना बना रही है। कंपनी गुजरात के हलोल संयंत्र को चीन के संयुक्त उपक्रम सहयोगी साइक मोटर कॉर्प को बेच रही है।
जीएम के इंटरनेशनल ऑपरेशन के प्रमुख स्टीफन जैकोबी ने बताया कि कंपनी भारत में उत्पादन के लाभ को छोडऩा नहीं चाहती है। भारत से जीएम मुख्य रूप से मेक्सिको और लातिन अमेरिकी देशों में अपने वाहनों का निर्यात करती है और 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में कंपनी का भारत से निर्यात लगभग दोगुना बढ़कर 70,969 वाहन दर्ज किया गया है।
तालेगांव संयंत्र की क्षमता प्रत्येक वर्ष 1,30,000 वाहन उत्पादन की है। जैकोबी ने कहा कि तालेगांव संयंत्र को निर्यात का संयत्र बनाने से जीएम कोरिया को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि वहां से उत्पादित वाहनों को मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को निर्यात किया जाता है।
विश्लेषकों की राय में भारतीय बाजार से जनरल मोटर्स को मिली निराशा उसकी रणनीति का ही परिणाम है। भारतीय बाजार में उन वाहनों की अधिक मांग है, जो किफायती दाम पर हों लेकिन उनके फीचर्स लेटेस्ट हों। शेवरले कारों की मेंटेनेंस और सर्विङ्क्षसग में लगने वाली बड़ी कीमत भी भारतीय ग्राहकों को इससे दूर करती है।
कंपनी ने वर्ष 2015 में कहा था कि उसकी योजना 2020 तक भारतीय वाहन कारोबार में अपना हिस्सा बढाकर तीन फीसदी करने की है लेकिन गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में इसकी हिस्सेदारी घटकर एक फीसदी से भी कम हो गयी। हालांकि, भारत बाजार गत वित्त वर्ष नौ प्रतिशत बढ़कर 30 लाख वाहन से अधिक पर पहुंच गया। जनरल मोटर्स इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका में अपने कारोबार को पूरी तरह खत्म कर रही है। कंपनी दक्षिण अफ्रीका स्थित अपने उत्पादन संयंत्र को इसुजु मोटर्स लिमिटेड को बेच रही है। इससे पहले जीएम ने 2015 में रूस के बाजार से विदाई ली थी।