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शेयर मार्केट का रिस्क मैनेजर है हाई फ्रिक्वेंसी ट्रेडिंग, जानिए कैसे मिलती है मदद

दुनियाभर में स्टॉक मार्केट का एक तिहाई काम मशीनों द्वारा किया जाता है। लेकिन रिटेल निवेशकों के लिए यह खासतौर पर फायदेमंद है…

Oct 17, 2016 / 07:24 pm

प्रीतीश गुप्ता

High Frequency trading

High Frequency trading

सेबी की ओर से प्रतिबंध पर विचार किए जाने के बाद से ही इन दिनों हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) या ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग चर्चा में है। सेबी ने कुछ उपायों पर विचार किया है जो बिजली की रफ्तार से सौदा पूरा करने वाली इस प्रणाली के लिए गति अवरोधक का काम कर सकते हैं। दुनियाभर में स्टॉक मार्केट का एक तिहाई काम मशीनों द्वारा किया जाता है। लेकिन रिटेल निवेशकों के लिए यह खासतौर पर फायदेमंद है।

ऐसी है एचएफडी की प्रोसेस

हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडर सौदे का फैसला करने के लिए कई सारे डाटा पॉइंट्स से इलेक्ट्रॉनिक्स डाटा फीड का इस्तेमाल करते हैं। फिर इन फैसलों को ऑर्डर में परिवर्तित किया जाता है जिस पर माइक्रोसेकेंड्स में नहीं बल्कि मिलिसैकेंड्स में क्रियान्वयन हो जाता है। एचएफटी के जरिए बाजार का विश्लेषण होता है और पल भर में उभरते रुझानों को पहचान कर ली जाती है। ये ट्रेड्स तय नियमों का पालन करते हैं जो टाइमिंग, कीमत, परिमाण या किसी अन्य गणितीय मॉडल पर आधारित होते हैं। ट्रेडर के लिए लाभ के मौकों के अलावा एचएफटी ट्रेडिंग बाजार को ज्यादा तरल और कारोबार को ज्यादा सिस्टमेटिक बना देती है। यह बाजार को ज्यादा सक्षम बनाती है और छोटे निवेशकों की मदद करती है। यह दो स्टॉक एक्सचेंजों या बाजारों के बीच, सिस्टम में मिस-प्राइसिंग को भी ठीक करती है। 


हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग से लिक्विडिटी बढ़ती है 

एचएफटी का इस्तेमाल खरीदारी करने वाली फर्म्स जैसे पेंशन फंड, म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां आदि करती हैं, जो बड़ी मात्रा में स्टॉक्स खरीदती हैं। अल्गो-ट्रेडिंग बाजार में विक्रेताओं के लिए पर्याप्त तरलता उत्पन्न करने में मददगार होते हैं। सिस्टमेटिक ट्रेडर्स को अपने ट्रेडिंग नियमों को प्रोग्राम करने और प्रोग्राम के जरिए कारोबार करने में मददगार होता है। 

खुदरा निवेशकों के लिए क्या है?

निवेशकों के लिए खरीद और बिक्री मूल्य अहम होते हैं। इस अंतर की भरपाई के लिए मार्केट मेकर बिल्कुल उसी वक्त सौदे का निष्पादन करते हैं जिस समय वो करना चाहते हैं। आमतौर पर शेयर का मूल्य जितना परिवर्तनशील होगा बिक्री-खरीद का अंतर भी उतना ही होगा। मार्केट मेकर्स जब अपनी पोजिशन को होल्ड करते हैं तो एचएफटी इस अंतर को कम कर उन्हें नुकसान से बचाते हैं। इस तरह ट्रेडिंग की लागत कम हो जाती है।

एचएफटी की खामी 

ट्रेडिंग की यह प्रोसेस अधिकांश खुदरा निवेशकों के लिए फिट नहीं बैठती। ऐसे कुछ ही एचएफटी फंड हैं जिनमें सार्वजनिक हिस्सेदारी के लिए स्कीम्स हैं। आर्बिट्रेज फंडों के खराब प्रदर्शन की एचएफटी एक बड़ी वजह है। एचएफटी प्रोग्राम्ड ट्रेडर होते हैं इसलिए वे एंट्री और एक्जि़ट के सिस्टम का पालन करते हैं। वे हर ट्रेड के बाद अपने फुटप्रिंट छोड़ते हैं। इनका अध्ययन निवेशकों को उनकी शैली समझने में मदद करता है।

-बी गोपकुमार, सीईओ, ब्रोकिंग, रिलायंस कैपिटल

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