हालांकि सरकार ने ज़रूरी चीजों की सप्लाई न रुकने का भरोसा जताया था लेकिन फिर भी मार्केट में साबुन से लेकर सैनेटाइजर और रेडी टू ईट फूड मैटेरियल दुकानों से गायब हो गए थे। सबसे बड़ी समस्या ये है कि राज्यों द्रवारा कई कंपनियों की फैक्ट्री में काम रुकवा दिया गया है। जिसके चलते इतनी जबरदस्त मांग के बावजूद इस सेक्टर को रीटेल बिक्री के क्षेत्रर में पहली तिमाही में 20 फीसदी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कंपनियां कर रही है प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग
ये कंपनियां न सिर्फ प्रोडक्शन स्टार्ट करने की मांग कर रही है बल्कि सरकार से 14 तारीख के बाद 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने की इजाजत मांग रही है ताकि लोगों को चीजों की कमी न हो । हालांकि इसके लिए कंपनी ने फैक्ट्री फ्लोर पर कम लोगों से काम करवाने की बात कही है। Godrej Consumer Product Ltd (GCPL) जैसी बड़ी FMCG कंपनी ने प्रोडक्शन बढ़ाने की बात कही थी।
बदलेगा प्रोडक्शन पैटर्न- लॉकडाउन की वजह से लोगों के खान-पान की आदतों में जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिल रहा है । लोग ज्यादातर घर में कंज्यूम की जाने वाली चीजों की खरीदारी करते नजर आ रह हैं। Keventer Agro जैसे इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि लॉकडाउन FMCG सेक्टर के लिए रीसेट बटन का काम करेगा। उद्योग जगत को अपने प्रोडक्शन पैटर्न से लेकर फैक्ट्री में काम करने का पैटर्न भी बदलना होगा। आने वाले वक्त में लोग हेल्दी फूड लेना पसंद करेंगे और कंपनियों को उसी हिसाब से प्रोडक्ट प्लान करने होंगे।
प्रोडक्शन बढ़ाने के बावजूद आसान नहीं होगी डिलीवरी-
ऐसे में ये सोचना ज़रूरी हो जाता है कि लॉकडाउन बढ़ने की सूरत में इस सेक्टर पर कैसा असर पड़ेगा। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन बढ़ने की सूरत में दिक्कत प्रोडक्शन की नहीं बल्कि सामान को पहुंचाने की होगी । दरअसल लॉकडाउन अवधि में ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा न होने की वजह से प्रोडक्शन बढ़ाने के बावजूद सामान लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं होगा।