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Income Tax Return: कौन-सा ITR फॉर्म भरें, अगर आप भी इसे लेकर परेशान हैं तो जानिए इनकी डिटेल

Income Tax Return: बहुत से लोगों इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए उनको कौन-सा फॉर्म भरना है। इस खबर में जानिए आपके लिए कौनसा फॉर्म है सही

ग्रेटर नोएडाOct 09, 2021 / 02:23 pm

Arsh Verma

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(Income Tax Return) नाई दिल्ली. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए बहुत से लोगों के दिमाग में दुविधा रहती है कि कौनसा फॉर्म भरना है और कौनसा नहीं।

अगर आप भी इस दुविधा का समाधान ढूंढ रहे हैं तो आपको बता दें कि यह व्यक्ति की इनकम के टाइप आदि कई चीजों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, सैलरी पाने वाले लोगों के लिए अलग फॉर्म होता है और कारोबारी और पेशेवरों के लिए अलग होता है।
आइए आपको सभी फॉर्म के बारे में जानकारी देते हैं, जिनसे आपको जानकारी मिले कि कौन-सा फॉर्म भरना है:


ITR-1:
अगर आप सैलरीड व्यक्ति हैं और आपकी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है, तो आपको आईटीआर-1 फॉर्म भरना होगा। यह बात ध्यान में रखें कि सैलरी में पेंशन इनकम भी शामिल होती है।

अगर आपने दूसरे स्रोतों से भी आय कमाई है, जैसे बैंक डिपॉजिट का ब्याज और एक हाउस प्रॉपर्टी , तो भी आप आईटीआर-1 फॉर्म के जरिए अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इसके साथ अगर आपके पास पांच हजार रुपये तक की कृषि आय है, तो भी आप अपना रिटर्न फाइल करने के लिए आईटीआर-1 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ITR-2:
अगर आपकी सैलरी इनकम 50 लाख रुपये के पार है, तो आप आईटीआर 2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब आईटीआर-2 तब भी इस्तेमाल किया जा सकता है, अगर आपके पास कैपिटल गेन्स के तौर पर इनकम, एक से ज्यादा घर से आय या विदेशी आय या आप विदेशी एसेट के मालिक हैं। अगर आपकी किसी कंपनी में डायरेक्टरशिप है या आपके अनलिस्टेड इक्विटी शेयर हैं, तो आपको रिटर्न फाइल करने के लिए आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना चाहिए।

ITR-3:
यह फॉर्म कारोबारियों और पेशेवरों के लिए है, जो कोई सैलरीड इनकम नहीं कमा रहे हैं। अगर आप किसी कंपनी के पार्टनर हैं, तो भी आपको आईटीआर-3 फॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए।


ITR-4:
आईटीआर-4 को दोनों रेजिडेंट इंडीविजुअल और HUFs इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनकी पिछले वित्त वर्ष में अपने पेशे या कारोबार से आय हुई थी, लेकिन वह अपनी इनकम टैक्स लायबिलिटी को कैलकुलेट करने के लिए प्रिजम्प्टिव इनकम स्कीम (PIS) को अपनाना चाहते हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 44AD, 44AE और 44ADA के मुताबिक, वे कारोबार इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनका कुल टर्नओवर दो करोड़ रुपये से कम रहा था. इसे वे योग्य पेशेवर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनकी पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल रिसिप्ट्स 50 लाख रुपये से कम रही हैं. PIS को चुनने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको अकाउंट्स के बुक्स का रखरखाव करने की जरूरत नहीं होती है।
PIS स्कीम के तहत, कारोबार अपनी नेट इनकम को कुल टर्नओवर के 6 फीसदी की दर पर अनुमानित कर सकते हैं। यह उस समय किया जा सकता है, अगर कुल रिसिप्ट्स भुगतान के डिजिटल माध्यमों के जरिए से आई हैं। कैश रिसिप्ट्स के मामले में, यह दर 8 फीसदी की होगी। दूसरी तरफ, पेशेवर जैसे डॉक्टर, वकील, आर्किटैक्ट और इंटीरियर डिजाइनर्स जो PIS को चुनते हैं, उन्हें वित्त वर्ष के दौरान कुल रिसिप्ट्स के 50 फीसदी को लाभ के तौर पर घोषित करना होगा और इस पर उसी के मुताबिक टैक्स लगेगा। हालांकि, दोनों कारोबारीऔर पेशेवर स्वेच्छा से अपनी आय को स्कीम के तहत अनिवार्य से ज्यादा दर पर घोषित कर सकते हैं।
इस बात का रखें खयाल:
यह बात ध्यान में रखें कि अगर व्यक्ति के कारोबार का टर्नओवर दो करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो वह PIS को नहीं चुन सकता। तो, ऐसी स्थिति में ITR 4 की जगह ITR-3 लागू होगा, इसके अलावा ITR-4 का इस्तेमाल करके फाइल करने वाली कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

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