नेगेटिव फीडबैक मिलने पर यूं संभालें स्थिति, जानिए जरूरी टिप्स
लक्ष्य कठिन लगते हैंवैज्ञानिकों ने लोगों से एक फुटबॉल को 10 बार गोलपोस्ट पर किक करने के लिए कहा। इसके बाद उनसे गोलपोस्ट की ऊंचाई और दूरी के बारे में पूछा गया। अध्ययन से पता लगा कि जिन लोगों ने गोलपोस्ट की ऊंचाई और दूरी अधिक बताई थी, वे लोग ज्यादा फेल हुए, वहीं गोलपोस्ट की ऊंचाई और दूरी कम बताने वाले लोग ज्यादा सफल हुए। फेलियर से हमारे अनकॉन्शियस विश्वास पर असर पड़ता है जैसे कि लोगों को लक्ष्य पहुंच के बाहर लगा।
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रिस्क लेने से डर लगता हैइंसान जितना कम कॉन्फिडेंट होता है, वह उतना ही ज्यादा फेलियर के बारे में चिंतित रहता है। इसलिए वह रिस्क लेने से भी घबराता है। अगर आप पारंपरिक तरीके काम में लेते हुए फेल हो जाएं तो आपको चुनौतीपूर्ण तरीके काम में लेने चाहिए।
जब एक बार फेल हो जाते हैं तो हमें अपनी क्षमताओं पर शक होने लगता है, लक्ष्य कठिन प्रतीत होते हैं। हमें लगता है कि लक्ष्यों तक आसानी से नहीं पहुंच पाएंगे। अनकॉन्शियस लेवल पर हमें लगने लगता है कि हम अब कभी कुछ नहीं कर पाएंगे।
एक बार जब किसी इंसान को एक काम में विफलता मिलती है तो वह असहाय महसूस करने लगता है। उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है। उसे लगता है कि उसमें कोई सामथ्र्य नहीं बची है।
जब आप फेल हो जाते हैं तो कम रिस्क लेने लगते हैं। आप क्रिएटिव तरीके से काम करना बंद कर देते हैं। आप ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ नहीं सोच पाते हैं, क्योंकि इस सोच में अनिश्चितता कम होती है और रिस्क ज्यादा होती है। नई अप्रोच और आइडियाज की कमी आ जाती है।
अध्ययन बताते हैं कि जब हम खुद के सफल या विफल होने के बारे में विचार करते हैं तो लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किए गए प्रयासों पर भी असर पड़ता है। जब हमारे दिमाग में डर होता है कि हम विफल हो जाएंगे तो हम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कम प्रयास करते हैं। इसी तरह सफलता के प्रति आश्वस्त होने पर हम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जी-जान लगा देते हैं। इससे एक अलग तरह का अनकॉन्शियस डायनेमिक उत्पन्न होता है।
इस बात को पहचानें कि विफलता क्षमताओं के बारे में आपकी सोच को खराब कर देती है। किसी भी हार के बाद कभी यह न सोचें कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं।
अपनी विफलता को भुला दें और उन क्वॉलिटीज की सूची बनाएं जो आपको अन्य लोगों से अलग बनाती हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करें। आपके लिए सक्सेस क्या है
खुद को मोटिवेट करें कि आखिर आप पहली बार लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में क्यों बढ़े थे। सोचें कि अगर आप सफल हो गए तो आपको कैसा लगेगा।
अगर गैरपरंपरागत तरीके काम में लेते हैं तो बेचैनी होना स्वाभाविक है। कैलकुलेटेड रिस्क लें। आपको हर विषय के बारे में अलग-अलग तरह से सोचना होगा। क्रिएटिविटी जगाएं
नए तरीके से चीजों के बारे में सोचें। हर अप्रोच की लिस्ट बनाएं। आइडियाज के बारे में नेगेटिव खयाल न आने दें। अपनी क्रिएटिविटी को जगाने का प्रयास करें।
ज्यादा फेलियर्स अपर्याप्त प्लानिंग, कमजोर तैयारी या कम प्रयासों के कारण होते हैं। पता करें कि कमी कहां रह गई। आप भविष्य में किस तरह से बेहतर कर सकते हैं।