आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दिसंबर में भारतीय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में 50 शीर्ष विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने निवेश की रुचि दिखाई है। वहीं बीते सोमवार को ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि इन बॉन्ड्स पर निवेश करने के लिए FPI पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार ग्रीनियम में सरकार पांच साल की बॉन्ड यील्ड 7.38% रखेगी। वहीं 5 साल के लिए बॉन्ड यील्ड का बेंचमार्क 7.16% और 10 साल के लिए 7.35% है। यह बॉन्ड 25 जनवरी को एक समान मूल्य नीलामी के माध्यम से 5 साल और 10 साल की अवधि के लिए बेचा जाएगा। बुधवार के बाद निलामी की इसी तरह की पेशकश 9 फरवरी को किया जाएगा।
ICICI सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप लिमिटेड के बिजनेस प्रमुख ने ब्लूमबर्ग से बात करते हुए कहा है कि “देश के पास कोई घरेलू ग्रीन-समर्पित डेट फंड नहीं है। ग्रीन बॉन्ड खरीदने के लिए घरेलू संस्थाओं के पास कोई जनादेश भी नहीं है। इसके बारे में निवेशकों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।”
ऑफशोर मार्केट में ग्रीन बॉन्ड जारी करती हैं भारतीय कंपनियां
भारतीय कंपनियां आमतौर पर ऑफशोर मार्केट में ग्रीन बॉन्ड जारी करती हैं, जहां अच्छी मांग देखी जाती है। एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में 1 बिलियन डॉलर का बॉन्ड इश्यू किया है, जो 100% से अधिक ओवरसब्सक्राइब हुआ था।
क्या होता है ग्रीन बॉन्ड?
अन्य निवेश विकल्पों की तरह ग्रीन बॉन्ड भी एक निवेश का विकल्प है। इसमें भी दूसरे बॉन्ड की तरह निवेशकों को फिक्स्ड ब्याज दिया जाता है। इससे मिलने वाले पैसे को कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली योजनाओं के लिए यूज किया जाता है। बॉन्ड निवेश के सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जाता है, जिसके जरिए सरकार को पैसा जुटाना आसान होता है। इसके साथ ही बॉन्ड में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार टैक्स छूट और टैक्स क्रेडिट भी देती है।
भारतीय कंपनियां आमतौर पर ऑफशोर मार्केट में ग्रीन बॉन्ड जारी करती हैं, जहां अच्छी मांग देखी जाती है। एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में 1 बिलियन डॉलर का बॉन्ड इश्यू किया है, जो 100% से अधिक ओवरसब्सक्राइब हुआ था।
क्या होता है ग्रीन बॉन्ड?
अन्य निवेश विकल्पों की तरह ग्रीन बॉन्ड भी एक निवेश का विकल्प है। इसमें भी दूसरे बॉन्ड की तरह निवेशकों को फिक्स्ड ब्याज दिया जाता है। इससे मिलने वाले पैसे को कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली योजनाओं के लिए यूज किया जाता है। बॉन्ड निवेश के सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जाता है, जिसके जरिए सरकार को पैसा जुटाना आसान होता है। इसके साथ ही बॉन्ड में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार टैक्स छूट और टैक्स क्रेडिट भी देती है।
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