इसके साथ ही लंबे समय से कामकाज नहीं कर रही कंपनियों के निदेशकों पर भी सख्ती की तैयारी है। सरकार एेसी कंपनी के निदेशकों पर किसी पंजीकृत कंपनी का निदेशक बनने पर पांच साल के लिए रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही अब किसी भी कंपनी को बनाने वाले डायरेक्टर को अपना अाधार कार्ड देना अनिवार्य होगा आैर बिना आधार कार्ड के कोर्इ भी व्यक्ति किसी भी कंपनी का डायरेक्टर नहीं बन सकेगा।
पीएमआे में बनी विशेष टास्क फोर्स ने ब्लू प्रिंट के जरिए जांच एजेंसियों आैर अन्य सरकारी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है। पीएमआे की कोशिश शैल कंपनियों के पूरे ढांचे को ध्वस्त करने का है। जानकारी के मुताबिक तीन तरह की लिस्ट बनार्इ जाएगी। इसमें शैल कंपनियों की कंफर्म लिस्ट, संदेहास्पद लिस्ट आैर कर्इ कंपनियों में एक ही शख्स के डायरेक्टर होने की लिस्ट शामिल होंगी। टास्क फोर्स दस बिंदुआें पर आगे बढ़ेगी जिसके जरिए शैल कंपनियों को पहचाना जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक सरकार ने करीब 2.96 लाख कंपनियों की पहचान की है, जिन्होंने दो या अधिक वर्षों से वित्तीय लेखा-जोखा नहीं दिया है।
एेसे होगी पहचान शैल कंपनियाें की पहचान के लिए जो बिंदु तय किए गए हैं उनके मुताबिक एेसी कंपनियां जिनका टर्नआेवर नहीं है या फिर दो लाख से कम है, एेसी कंपनियां जिनकी आय नहीं या दो लाख से कम है, लेनदारी नहीं या पचास हजार तक है, देनदारी नहीं या केवल पचास हजार तक है या फिर एक ही पते पर कर्इ कंपनियों के एड्रेस हों।
जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार कंपनियों के आयकर रिटर्न को जांचने में जुटी है आैर जो कंपनियां दस बिंदुआें में आएगी उन्हें शैल कंपनियों के रूप में चिह्नित किया जाएगा। सरकारी एजेंसियां इन पर निगाह रखेंगी आैर समय पर रिटर्न नहीं भरने वाली कंपनियों के रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल किए जाएंगे।
एेसे बनती हैं शैल कंपनियां हम आपको बता दें कि शैल कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद करने का धंधा किया जाता है। ये कंपनियां मिनिस्ट्री आॅफ कारपोरेट अफेयर्स में रजिस्टर्ड होती है। कंपनी में निदेशक होते हैं, लेकिन न कर्मचारी होते हैं आैर न ही कोर्इ दफ्तर होता है। हालांकि कंपनी का कामकाज कागजों में लाखों-करोड़ों में होता है। कंपनी के शेयर ऊँचे भावों में खरीदे आैर बेचे जाते हैं, हालांकि ये शेयर बाजार में कारोबार नहीं करती है।