यह भी पढ़ेंः- Macrotech Developers Listing: निवेशकों का ठंडा रिस्पांस, 10 फीसदी का दिया डिस्काउंट
डायरेक्ट प्लान को करें सलेक्ट
जानकारों की मानें तोक इंवेस्टर्स को म्यूचुअल फंड के रेग्युलर प्लान के बदले डायरेक्ट प्लान में इंवेस्ट करने की जरुरत है। इस पर औरों के मुकाबले 1 से 1.5 फीसदी अधिक कमाई होती है। इसके पीछे का कारण है कि इंवेस्टर्स को डायरेक्ट प्लान में ब्रोकरेज देने की जरुरत नहीं होती है। यह एक प्लान से दूसरे प्लान पर डिपेंड करता है।
यह भी पढ़ेंः- कोरोना के कहर से Stock Market Crash, HDFC Bank 3 फीसदी से ज्यादा लुढ़का
एसआईपी ऑप्शन तलाशें
निवेशकों को म्यूचुआल फंड में एक साथ पूरा रुपया इंवेस्ट करने से बचना चाहिए। जानकारों की मानें तो म्यूचुअल फंड में सिस्टमेटिक इन्वेटसमेंट प्लान यानी एसाआईपी के माध्मयम से छोटे-छोटे इंवेस्टमेंट करने की जरुरत है। इसमें जोखिम भी कम और रिटर्न ज्यादा होता है।
यह भी पढ़ेंः- आंध्र प्रदेश सरकार सरकारी कर्मचारियों को ईएमआई पर देगी ई-बाइक, देश में सभी जगह लागू हो सकती है स्कीम
डायवर्सिफाइ करें अपना इंवेस्टमेंट
म्यूचुअल फंड निवेशकों को अपने पोर्टफोलियों को डायवर्सिफाइ रखना चाहिए। यह जोखिम के स्तर को कम करने में मदद करता है। इंवेस्टर्स को अपनी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लॉर्ज-कैप फंड में निवेश करना चाहिए। निवेशक को अपने फंड का 60 फीसदी स्मॉल-कैप, 20 फीसदी मिड-कैप , 10 फीसदी इंडेक्स फंड और 10 फीसदी लॉर्ज-कैप में निवेश करना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः- कोविड-19 के खिलाफ जंग में मुकेश अंबानी के बाद टाटा, मित्तल और जिंदल भी आए सामने
किसमें करें इंवेस्ट डेट या इक्वटी
जानकारों का मानना है कि निवेशकों को डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करने का ऑप्शन खुला रखना खहिए। वैसे उम्र बढऩे के साथ जोखिम लेने की क्षमता कम होती जाती है। ऐसे में निवेशकों को इक्विटी में निवेश से पहले अपनी उम्र को 100 में से घटा लेनी चाहिए। यानी अगर उम्र 30 वर्ष है तो पोर्टफोलियों की 60 फीसदी रकम इक्विटी में इंवेस्ट करना बेहतर है। डेट के मुकाबले इक्विटी हमेशा अधिक रिटर्न देता है लेकिन जोखिम भी ज्यादा होता है।