आजकल अविभावकों के लिए यह रिवाजी हो गया है कि अपने बच्चे के भविष्य के लिए पहले से ही योजना बनाना शुरू करें। उनका भविष्य संवारने के लिए यह टेलर मेड प्लानों में निवेश कर किया जा सकता है, चाहे वह हेल्थकेयर, शिक्षा के लिए हो अथवा विवाह के लिए हो, पर यह प्रारंभिक स्तर से होना चाहिए। यह इसलिए कि ठेठ अविभावक पूरी तरह से ‘यू’ टर्न लेते है, जब बच्चे का पहला दांत निकलता है। भारतीय परिपेक्ष्य में अविभावकों की चिंता बढ़ जाती है यदि वह बालिका हो।
कैसे डालें निवेश की आदत
अब मुद्दा यह है कि प्रारंभिक स्तर पर उनको बचत एवं निवेश की आदत कैसे खिखाएं? पहले इसका उत्तर सरल था, लेकिन अब मार्केट में कई बचत एवं निवेश योजनाएं उपलब्ध है जिससे अविभावकों एवं बच्चे में भ्रांति पैदा होती है। उदाहरण के लिए, पहले स्कूल स्तर पर बच्चों को उनके पाकेट मनी बचाने के प्रोत्साहन के लिए यहां केवल सरकार प्रायोजित स्कीमें थी। लेकिन अब कई ऐसी स्कीमें बाजार में उपलब्ध है, जो बच्चों को लक्षितहै। अधिकतर बैंकों एवं बीमा कंपनियों द्वारा ये स्कीमें आफर की गई है।
इक्विटी-लिंक्ड एसआईपी बेहतर
बच्चे में निवेश का दूसरा आकर्षण फोकस्ड इक्विटी-लिंक्ड एसआईपी है, अविभावक शुरूआत में एक मुश्त राशि इसे शुरू कर सकते है और इस निवेश को पाक्षिक अंतराल के माध्यम से जारी रखना है, जिसे प्रति माह तय किश्त या ईएमआई कहा जाता है। एसआईपी में निवेश करना अविभावक के लिए बोनस है, क्योंकि ऐसे निवेश कर मुक्त और मुद्रास्फीति से बचाव करते है।