कब किया कितना निवेश
मेक माई ट्रिप के फाउंडर दीप कालरा वर्ष 2009 में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट के ली फिक्सेल से बेंगलूरु के एक नामी रेस्टोरेंट में डिनर के दौरान मुलाकात को याद करते हुए बताते हैं कि, न्यू यॉर्क बेस्ड फर्म से आया यह युवक िलपकार्ट नामक एक ऑनलाइन बुकस्टोर में एक प्रतिस्पर्धात्मक निवेश पाने में कामयाब हो गया था। यह एक आसान काम नहीं था क्योंकि फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल और बिन्नि बंसल के पास निवेशकों की कोई कमी नहीं था और उन्हे फैसला लेने में कोई जल्दबाजी नहीं।
फ्लिपकार्ट को दर्जनों वेंचर कैपिटल निवेशकों से टर्म पेपर मिला था, और इनमें से अधिकतर निवेश की कीमत लगभम दो अरब डॉलर थी। लेकिन फिक्सेल तीन अरब डॉलर में ये डील हासिल करने में कामयाब रहें। फिक्सेल की बातों को याद करते हुए कालरा कहते हैं कि, अगर मेरा इस कंपनी में एक तिहाई या एक चौथाई हिस्सेदारी रहता हैं तो मुझे इसके राईट के बारे में कोई फर्क नहीं पड़ता हैं। उसी वर्ष टाईगर ग्लोबल नें 360बाइ नामक एक चीनी कंपनी में निवेश किया था। अब इस कंपनी का नाम जेडी डॉट कॉम हैं जिसका मौजूदा किमत 650 करोड़ हैं।
क्या मिला फायदा
वर्ष 2015 तक, फ्लिपकार्ट में टाईगर ग्लोबल का निवेश एक अरब डॉलर तक पहुंच गया था। यह इस फर्म का ई-कॉमर्स में सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा रिस्क था। पिछले 18 महीनों में इस रिस्क को कम करने के लिए फिक्सेल ने जोरदार मेहनत की हैं। और हाल ही के कुछ महीनों में वे कुछ बड़े स्ट्रैटेजिक निवेशकों को अपने साथ लाने में कामयाब रहें हैं। इसमे चीन की टेन्सेंट और अब सॉफ्टबैंक भी शामिल हो गई हैं।
फ्लिपकार्ट में सॉ टबैंकक के ढ़ाई अरब डॉलर के निवेश के साथ, अब उ मीद हैं कि फिक्सेल भारत के 80 करोड़ डालर के स्टार्ट अप इकोसिस्टम में किसी भी निवेशक के लिए सबसे बड़ा एग्जिट दर्ज करेंगें। इस डील के पास टाईगर ग्लोबल के पास फ्लिपकार्ट में 18 फीसदी का निवेश शेष रहेगा, जो कि कंपनी की पोस्ट मनी वैल्यूएशन के अनुसार दो अरब डॉलर रह जाएगा। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना हैं कि, यह आंशिक एग्जिट फिक्सेल को भारत में आगे भी निवेश के लिए और अधिक सक्षम बनाएगा।
फ्लिपकार्ट का सफर
फ्लिपकार्ट देश में सबसे तजी से ग्रो करने वाली ई-कॉमर्स कंपनी में से एक हैं। फ्लिपकार्ट बीते सात वर्षों में करीब नौ अधिग्रहण कर चुकी हैं। वर्ष 2011 में चकपक और 2012 में लेट्स बाय डॉट कॉम का अधिग्रहण किया था। इसके ठीक दो वर्ष बाद कंपनी ने मिंत्रा का अधिग्रहण ग्रहण कर लिया। वर्ष 2015 में फ्लिपकार्ट ने एनजीपे ओर एड आई क्वालिटी का अधिग्रहण किया। वहीं अगले वर्ष कंपनी ने फोनपे और जबांग डॉट कॉम का भी अधिग्रहण कर लिया।
वेंचर कैपिटल का सफर
एक समय में टाइगर ग्लोबल भारत के तीन दर्जन स्टार्ट अप को दो अरब डॉलर के निवेश के साथ सबसे ज्यादा सपोर्ट करने वाली कंपनी थी। लेकिन कंपनी ने वर्ष 2015 के बाद कोई नया निवेश नहीं किया हैं। लेकिन अब यह बदलने वाला है। दोनों सह संस्थापक फिक्सेल से मिलने के बाद बताया कि, वो अब दोनो नई कंपनियों और पहले से शामिल पोर्टफोलियो कंपनियो से नए निवेश के लिए मिलना शुरू कर दिया हैं। लेकिन वेंचर कैपिटल निवेशकों का मानना हैं कि फिक्सेल अब वहीं पुराना प्रतिस्पर्धात्मक रवैया नहीं अपनाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 12 महीने में फर्म ने लगभग 18 नए निवेशों को बन्द कर दिया हैं। अब वो भारत में बहुत नियंत्रित तरीके से निवेश करेंगे क्योंकि बीते कुछ अनुभव उनके लिए चिन्ताजनक रहा हैं। लेकिन वो बाजार से लगातार जुड़े हुए रहते हैं।