अमरीकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और शंघाई सरकार के बीच इस बाबत समझौते पर हस्ताक्षर हुए है। जिसमें यह बताया गया है कि सिलिकॉन वैली कंपनी को शंघाई ने अपने यहां प्लांट स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है। द मिंट में छपी खबर के मुताबिक, टेस्ला अपनी फैक्ट्री को चीन में स्थापित कर साउथ और साउथ-ईस्ट एशियाई देशों में निर्यात करना चाह रहा है, इसलिए उन्होंने भारत को प्रस्ताव को नजरअंदाज किया है।
इससे पहले जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साल 2015 में अमरीका का दौरा किया था तो इस दौरान वे टेस्ला फैक्ट्री में गए थे और वहां पर टेस्ला सीईओ एलन मस्क से मुलाकात की थी। उस वक्त मस्क ने कहा था कि भारत संभावनाओं का देश है। साथ ही उन्होंने भारत के 2030 तक सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक करने के मिशन की प्रशंसा भी की थी। लेकिन भारत के पड़ौसी देश चीन ने अपनी ठोस रणनीति के दम पर भारत में लगने वाले टेस्ला के प्लांट को छीन लिया है।