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नई या सैकेंड हैंड कार? सिर्फ 5 पॉइंट्स में समझिए आपके लिए क्या होगा बेहतर विकल्प

New Car or Used Car: नई कार या सैकेंड हैंड कार? यह सवाल कई लोगों के मन में आता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि सभी अहम पॉइंट्स देखकर ही यह फैसला लिया जाए।

नई दिल्लीDec 03, 2021 / 04:49 pm

Tanay Mishra

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New Car vs. Used Car

नई दिल्ली। अक्सर ही लोगों के मन में कार खरीदने से पहले एक सवाल आता है। “नई कार या सैकेंड हैंड कार?” लोग अक्सर ही कार खरीदने से पहले इस दुविधा में रहते हैं कि उनके लिए नई कार खरीदना बेहतर ऑप्शन रहेगा, या सैकेंड हैंड (पहले किसी और की इस्तेमाल की हुई) कार? लोग ज़्यादातर इस दुविधा का सामना अपनी पहली कार खरीदने से पहले करते हैं। ऐसे में कोई भी फैसला लेने से पहले यह ज़रूरी है कि कार खरीदने से जुड़ी सभी अहम बातों का ध्यान रखा जाए।
आइए एक नज़र डालते है उन 5 पॉइंट्स पर, जिन्हें ध्यान में रखकर ही नई या सैकेंड हैंड कार खरीदने का फैसला लेना चाहिए।
1. कीमत

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नई कार की कीमत सैकेंड हैंड कार की कीमत से ज़्यादा होती है। पर नई कार की खरीद पर कंपनी की तरफ से भुगतान से जुड़े आकर्षक ऑफर्स भी मिलते हैं, जैसे आसान EMI, कम ब्याज दर। कुछ डीलर साथ ही कुछ डीलर्स नई कार की खरीद पर शून्य-ब्याज पर लोन भी देते हैं, जिससे उसकी कीमत पर तो नहीं, पर भुगतान करने में सुविधा मिलती है।
2. वारंटी

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नई कार की खरीद में एक ऐसा बड़ा फायदा मिलता है, जो सैकेंड हैंड कार की खरीद में नहीं मिलता। और यह फायदा है वारंटी। नई कार की खरीद पर वारंटी मिलती है, जिसकी एक निश्चित समय अवधि होती है। इस समय अवधि के दौरान कार को होने वाले छोटे-मोठे नुकसान और रिपेयरिंग की भरपाई डीलरशिप की तरफ से ही होती है। यह सुविधा सैकेंड हैंड कार में नहीं मिलती। साथ ही सैकेंड हैंड कार को रख-रखाव और रिपेयरिंग की ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है।
3. टेक्नोलॉजी

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कार में समय के साथ नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता रहता है। नई कार में टेक्नोलॉजी के नए और बेहतर ऑप्शंस मिलते हैं। इससे आगे होने वाले खर्चों में भी कमी की जा सकती है। सैकेंड हैंड कार में नई टेक्नोलॉजी के ऑप्शंस नहीं मिलते हैं।
4. इंश्योरेंस

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बात अगर इंश्योरेंस की करें तो नई कार के मुकाबले सैकेंड हैंड कार पर इंश्योरेंस की कीमत कम होती है। ऐसे में नई कार के लिए जहां इंश्योरेंस की ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ती है, सैकेंड हैंड कार के साथ यह झंझट नहीं रहती।
5. डेप्रीसिएशन

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डेप्रीसिएशन को मूल्यह्रास भी कहते है। यानि की किसी वस्तु की कीमत में समय के साथ कमी होना। जब आप एक नई कार खरीदते हैं, तो उस मॉडल के अपने लॉट से हटते ही उसकी कीमत में बड़ी कमी आ जाती है। वहीं जब आप एक सैकेंड हैंड कार खरीदते है, तो आपको उस मॉडल के अपने लॉट से हटने की चिंता नहीं करनी पड़ती। ऐसे में अगर आप बाद में इसे बेचना भी चाहे, तो जिस कीमत पर आपने सैकेंड हैंड कार खरीदी थी, उसका सही हिस्सा आपको मिल सकता है।

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