चंदौली जिले के नगर पालिका इंटर कॉलेज में चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन वीर अब्दुल हमीद सभागार में जब सुगंधा शर्मा नाम की लड़की के सिर पर आग जलायी गयी तो सभी हैरान थे। यह आग इतनी देर जली कि उस पर चाय बना लें। पर प्रशिक्षण में मकसद चाय बनाकर करामात दिखाना नहीं, बल्कि इन चमत्कारों के पीछे के वैज्ञानिक तथ्य दिखाने थे। प्रतिभागी शिक्षक ने सुगंधा शर्मा के सिर पर एक तौलिया रखी, जिसके अंदर गीलते आटे की मोटी रोटी रखा गया। फोल्ड कर तौलिया उसके सिर पर रख दी गयी। इसके बाद एक रिंग में कपड़े की परत लपेटकर मिट्टी के तेल से भिगोकर सिर उस तौलिये पर रख दिया गया जो सिर पर रखी थी।
माचिस लगाते ही सिर पर तेज आंच के साथ आग जल गयी। यह देख वहां सब हैरान रह गए। इसके बाद प्रतिभागी शिक्षक इसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क बताए। व्याख्या सुनकर छात्र-छात्राओं को समझ में आ गया कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि वैज्ञानिक ट्रिक है। जलते कपूर को मुंह में रख लेने की सच्चाई से भी रूबरू कराया गया। कान से पीलिया की झाड़-फूक के पीछे की सच्चाई बतायी गयी। प्रशिक्षक ने अपने हाथ में आम की छाल से निकला रस लगाया था। इसके बाद चूना मिला हुआ पानी उसके हाथ पर गिराने पर ऐसा महसूस हो रहा था कि नाखून से पीलिया निकल रहा है।
बताया गया कि आम की छाल का रस चूने के पानी के सम्पर्क में आते ही रसायनिक प्रतिक्रिया के चलते पीले रंग का हो जाता है। इसी तरह कान से पीलिया निकलने के बारे में बताया गया।एक अखबार को रोलकर कान पर रखा। कान पर रुई रखदी गयी और अखबार के अंदर जलती हुई मोमबत्ती। अखबार से जो धुआं निकला उससे रुई पीली हो गयी। मंत्र पढ़ने का नाटक कर कान से रुई हटाने पर वह पीली को गयी थी। इन चमत्कारों के पीछे की वैज्ञानिक ट्रिक देखकर बच्चे हैरान थे कि कैसे लोगों का ***** बनाया जाता है। प्रशिक्षकों द्वारा बतायागया कि सामान्य रूप से पीलिया या हेपेटाइटिस ए 40 से 45 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसका गंभीरता से इलाज जरूरी है न कि झाड़-फूक, जिसका पीलिया के इलाज से दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं।
By Santosh jaiswal