महीने के तीसरे बुधवार को चंदौली के विकास भवन सभागार में किसान दिवस के मौके पर जिलाधिकारी समेत अधिकारी और किसान जुटे। पूरी बैठक में पराली का मुद्दा ही छाया रहा। अधिकारियों ने किसानों को पराली जलाने पर कार्रवाई की जानकारी दी तो किसानों ने भी अपनी मजबूरी जताते हुए पराली निस्तारणके लिये वैकल्पिक व्यवस्था मांगी। उनका कहना था कि किसान सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी का सम्मान करते हैं, लेकिन पराली निस्तारण के लिये सरकार को कोई कदम उठाना चाहिये। उन्होंने पराली निस्तारण के लिये मुआवजा दिये जाने की मांग की। कहा कि यूपी के टॉप 5 धान पैदावार वाले जिलों में शामिल चंदौली के किसानों के पास कोई ऐसा आधुनिक यंत्र नहीं, जिससे पराली बिना जलाए ही वह उसे खेतों से बाहर निकाल सके। उन्हे सड़ाकर खाद के रूप में इस्तेमाल कर सके।
इसी दौरान कृषी उपनिदेशक ने जब किसानों को एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पराली जलाने पर जुर्माना भरना होगा। उन्हें मिलने वाले अनुदान भी बंद हो जाएंगे। इसके बाद किसान नाराज हो गए और चेतावनी दी कि अगर पराली हटाने के लिये उन्हें मुआवजा नहीं दिया गय और मशीनें नहीं मंगवायी गयीं तो किसान मजबूरी में पराली भी जलाएंगे, जुर्माना भी भरेगा और जेल भी जाएगा। सड़क पर उतरकर आंदोलन भी करेगा। इसके अलावा नाराज किसानों ने जिलाधिकारी के सामने ही गेहूं की फसल की बुआई न करने की चेतावनी भी दी। बैठक के दौरान डीएम ने किसानों की कई समस्याओं के निस्तारण का भी निर्देश दिया।
By Santosh Jaiswal