भारतीय जनता पार्टी ने चंदौली लोकसभा सीट से तीसरी बार महेंद्र नाथ पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाया है। डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय चंदौली सीट से लगातार दो बार के सांसद हैं। इसके साथ ही वे केंद्र में भारी उद्योग मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय गाजीपुर जिले के पखनपुर गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और हिन्दी में पीएचडी भी की है। छात्र जीवन से ही उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और साल 1978 में वो बीएचयू में महामंत्री चुने गए थे।
यह भी पढ़ेंः बदायूं में फिर बदलेगा सपा का उम्मीदवार, शिवपाल यादव छोड़ेंगे सीट, अखिलेश को लिखा पत्र इससे पहले वह साल 1973 में वह सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज से अध्यक्ष चुने गए थे। 1975-76 के दौरान महेंद्रनाथ पांडेय एबीवीपी के वाराणसी जिला संयोजक रहे। साल 1985-86 में उन्हें भाजयुमों का प्रदेश मंत्री बनाया गया। साल 1987 में वो भाजपा उत्तर प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य चुने गए। साल 1991 में पहली बार वो गाजीपुर की सैदपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद दोबारा सैदपुर से उन्हें विधायक चुना गया। साल 2014 में वो चंदौली सीट से पहली बार सांसद बनें और अब तीसरी बार भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है।
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समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। वीरेंद्र सिंह सपा सरकार में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह वाराणसी के चिरईगांव के रहने वाले हैं। सपा से पहले वीरेंद्र सिंह कांग्रेस और बसपा में भी रह चुके हैं। वीरेंद्र सिंह ने साल 1996 में चिरई गांव से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। साल 1996 में उन्होंने चिरईगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।
समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। वीरेंद्र सिंह सपा सरकार में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह वाराणसी के चिरईगांव के रहने वाले हैं। सपा से पहले वीरेंद्र सिंह कांग्रेस और बसपा में भी रह चुके हैं। वीरेंद्र सिंह ने साल 1996 में चिरई गांव से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। साल 1996 में उन्होंने चिरईगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।
इसके बाद कांग्रेस से उनका मोह भंग हो गया और साल 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की। हालांकि साल 2012 में उन्होंने फिर कांग्रेस जॉइन की और साल 2012 के चुनाव के बाद ही उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। साल 2017 में वीरेंद्र सिंह फिर से बसपा में शामिल हुए। बाद में उन्होंने बसपा को छोड़ सपा का दामन थाम लिया। अब चंदौली लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार महेंद्र नाथ पांडेय के खिलाफ चुनाव में प्रत्याशी हैं।
यूपी-बिहार की सीमा पर बसे चंदौली में चुनाव के समय विकास के मुद्दे की बजाए जातिवाद और क्षेत्रवाद हावी रहता है। चंदौली में सबसे ज्यादा यादवों की संख्या मानी जाती है। यादव करीब दो लाख पचहत्तर हज़ार के आसपास हैं। उसके बाद दलित बिरादरी है जो कि करीब दो लाख साठ हज़ार के आसपास है। इसके बाद पिछड़ी जाति में मौर्या हैं। इनकी संख्या एक लाख पचहत्तर हज़ार के करीब है। ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, राजभर भी तकरीबन एक लाख से कुछ अधिक माने जाते हैं।
चंदौली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में यूपी विधानसभा की 5 सीटें आती हैं। चंदौली जिला वाराणसी और गाजीपुर से सटा है। इन 5 विधानसभा सीटों में मुगलसराय, सकलडीहा, सैयदराजा, शिवपुर, अजगरा शामिल है। साल 1957 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 1959 में हुए उपचुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के प्रभु नारायण सिंह, 1962 में कांग्रेस के बालकृष्ण सिंह, 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के निहाल सिंह, 1971 में कांग्रेस के सुधाकर पांडेय, 1977 में भारतीय लोकदल के नरसिंह यादव, 1980 में जनता पार्टी से निहाल सिंह ने, 1984 में कांग्रेस से चंद्र त्रिपाठी, 1989 में जनता दल के कैलाश नाथ सिंह यादव ने जीत दर्ज की।
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पहली बार साल 1991 में यहां भाजपा ने कब्जा जमाया। साल 1998 तक भाजपा इस सीट पर डटी रही और आनंद रत्न मौर्या का यहां दबदबा रहा। साल 1999 में इस सीट से सपा के जवाहर लाल जायसवाल को जीत मिली। साल 2004 में बसपा के कैलाश नाथ सिंह ने जीत दर्ज की। साल 2009 में सपा के रामकिशुन यादव ने जीत दर्ज की। लेकिन 2014 में इस सीट पर भाजपा के महेंद्रनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की। इसके बाद से यहां महेंद्र नाथ पांडेय का दबदबा है। साल 2019 में महेंद्रनाथ पांडेय का मुकाबला सपा के संजय सिंह चौहान से था। इसमें दोनों के बीच कांटे की टक्कर थी। 2019 के चुनाव में महेद्र नाथ पांडेय पांच लाख वोट पाने के बाद भी केवल 14 हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सके थे। डॉ. महेंद्र नाथ पांडे को 5,10,733 और सपा के संजय सिंह चौहान को 4,96,774 वोट मिले थे। इस बार भी सपा के वीरेंद्र सिंह और भाजपा के महेंद्रनाथ पांडेय के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है।