पीएम ने किया पद का दुरूपयोग
उन्होंने कहा कि रफाल विमान खरीद घोटाला मामले में प्रधानमंत्री ने पद का दुरूपयोग किया है। विमान खरीद सौदे में रिलायंस को कुल कीमत का 35 फीसदी हिस्सा दिलाया गया है। यह कमीशन 31 हजार करोड रूपए बनता है। यह एक तरह से विमान की कीमत बढाकर घूस दिलाने की तरह है। कानून में धूस लेना व दिलाना दोनों अपराध है। विमान की कीमत ढाई गुना बढाकर रिलायंस को 35 फीसदी कमीशन दिलाने का रास्ता साफ किया गया। यह कमीशन आॅफसेट कान्ट्रेक्ट के रूप में दिया गया। अब विमान बेचने वाली कम्पनी डासाॅल्ट कह रही है कि रिलायंस को आॅफसेट कान्ट्रेक्ट देने के पीछे कम्पनी के पास जमीन का होना है। यह बडी ही हास्यास्पद बात है कि किसी और कम्पनी या एचएएल के पास जमीन ही नहीं है।
रफाल डील को लेकर सीबीआई जांच की मांग की थी
प्रशान्त भूषण ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रफाल विमान घोटाले की जांच के लिए पिछले 4 अक्टूबर को उन्होंने यशवन्त सिन्हा और अरूण शौरी के साथ सीबीआई निदेशक को शिकायत दी थी। इसके बाद से ही सरकार घबराई हुई थी। सीबीआई निदेशक के हमसे मिलने पर भी आपत्ति दर्ज की जा रही थी। उन्होंने कहा कि शिकायत के साथ 46 दस्तावेज सौंपे गए है। सरकार को डर था कि कहीं इस शिकायत पर प्रारम्भिक जांच न शुरू कर दी जाए। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक किसी भी शिकायत के मिलने पर एजेंसी के जांच करना भी अनिवार्य होता है।
नागेश्वर राव के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले-भूषण
उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटाने के बाद संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को कार्यवाहक निदेशक बनाया गया है। राव के खिलाफ पहले ही भ्रष्टाचार के कई मामले है। इसी तरह राकेश अस्थाना को स्पेशल निदेशक के रूप में सीबीआई पर थोपा गया। अस्थाना के खिलाफ पहले ही छह मामले चल रहे है। पहले तो अस्थाना को कार्यवाहक निदेशक बना दिया गया था। विरोध करने पर स्पेशल निदेशक के रूप में उन्हें थोप दिया गया।
रफाल सौदे के मूल स्वरूप को बदला गया
रफाल विमान खरीद में घोटाला किस तरह से किया गया है इस बारे में खुलासा करते हुए प्रशान्त भूषण ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत वर्ष 2015 तक वार्ता पूरी कर ली गई थी। लेकिन विमान सौदे को बदल दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बीच 10 अप्रेल 2015 की वार्ता में पूरा सौदा बदला गया। सिर्फ 36 विमान का सौदा किया गया। इसके तहत तकनीकी हस्तांतरण और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को छोड दिया गया।
मूल सौदा 126 विमानों का था और इसमें से 108 विमान भारत में बनाकर तकनीकी हस्तांतरण किया जाना था। सौदा बदलने के लिए प्रक्रिया से जुडी एजेंसियों को विश्वास में नहीं लिया गया। इसी दौरान 13 अप्रेल 2013 को फ्रांस के मीडिया में खबर आई थी कि मोदी रिलायंस को काॅन्ट्रेक्ट दिलाना चाहते है और इसलिए सौदा बदला गया है। उस समय के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने कहा था कि पूरा सौदा नब्बे हजार करोड का हो जाता इसलिए सौदा बदला गया। विमान कम्पनी डासाॅल्ट के अफसरों ने भी मुद्या उठाया था कि जब अनुभव ही नहीं है तो रिलायंस को काॅन्ट्रेक्ट क्यों दिया जा रहा है? सितम्बर 2016 में सौदे को अंतिम रूप दिया गया और बताया गया कि एक विमान 670 करोड रूपए का है। रिलायंस ने अपने बयान में कहा कि एक विमान 1660 करोड रूपए का है और पूरा सौदा 60,000 करोड रूपए का है। विमान की कीमत ढाई गुना बढाकर रिलायंस को 35 फीसदी कमीशन के रूप में 21 हजार करोड रूपए दिलाना तय किया गया।