पारिस्थितिकी तंत्र के लिए घातक
मंथन में शामिल कृषि अर्थशास्त्री यह मान रहे हैं कि मौजूदा खेती और खाद्यान्न उत्पादन का तरीका भारत में पारिस्थितिकी तंत्र के लिए घातक है। खेती और अधिक पैदावार के लिए वन साफ किए जा रहे हैं। निरंतर वन क्षेत्र घटने से पर्यावरण संतुलन गडबड हो रहा है। खेती के लिए वनों की कटाई से पारिस्थितिकी पर विपरीत असर पड रहा है। फिर जो खाद्यान्न पैदा होता है वह भी मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है। इसलिए निरापद कृषि प्रणाली की जरूरत है। इस नजरिए से पंजाब को मॅाडल बनाया जा सकता है।
जोखिम रहित प्रणाली तय करेंगे
इस मंथन में शामिल हुए विशेषज्ञों ने बताया कि खेती ओर खाद्यान्न उत्पादन की कोई जोखिम रहित
प्रणाली तय कर इसका मसौदा संसद और राजनीतिक दलों तक ले जाया जाएगा। इस मंथन में पंजाब के शहरी निकाय मंत्री नवाजोत सिद्धू भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि सृष्टि को बदलने के लिए दृृष्टि की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेहतर खेती की खोज में पंजाब की अहम् भूमिका हो सकती है। वे मंथन में आए कृषि अर्थशास्त्री देविंदर को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह से मिलाएंगे ताकि यह पहल आगे बढे। उल्लेखनीय है कि भारत में पंजाब कृषि एवं खाद्यान्न उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्यों में है।