पंजाब में पिछले माह करीब 15 दिन एक हजार छापे डालकर 904 नमूने लिए गए थे। मिशन तंदुरूस्त के तहत यह अभियान चलाया गया था। छापों में दूध,पनीर,खोया और देशी घी के नमूने लिए गए थे। पंजाब सरकार की खरड स्थित खाद्य प्रयोगशाला में इनमें से 364 नमूनों की जांच कराई गई थी। जांच में 161 नमूने खाद्य सुरक्षा मानकों से बाहर पाए गए। जांच में यह भी पता चला कि पनीर में टायलेट क्लीनर का इस्तेमाल पाया गया। दूध में वसा की मात्रा बढाने के लिए पाम आॅयल के इस्तेमाल,दूध में झाग पैदा करने के लिए डिटरजेंट पावडर का इस्तेमाल,दूध को गाढा बनाने के लिए मेल्ट्ोडेक्सट्ोन रसायन का इस्तेमाल भी पाया गया।
पंजाब के पशुपालन विभाग का कहना है कि पंजाब में 52 लाख भैंस और 21 लाख गाए हैं। इनमें से 70 फीसदी दुग्ध उत्पादन कर रही हैं। इस तरह रोजाना 360 लाख लीटर दूध का रोजाना उत्पादन होता है। इसके पचास प्रतिशत की खपत गांव में हो जाती है। शेष दूध बाजार में जाता है। बाजार में 50 लाख लीटर दुग्ध सयंत्रों में जाता है। दूध बेचने वाले 50 लाख लीटर बेच देते है। हलवाई 20 लाख लीटर की खपत करते हैं। पंजाब से बाहर 20 लाख लीटर चला जाता है। पंजाब प्रतिव्यक्ति दूध उपलब्धता में अग्रणी राज्य हरियाणा,राजस्थान,हिमाचल प्रदेश,गुजरात से भी आगे है।
पंजाब में दूध और दुग्ध उत्पादों के नमूनों की जांच में गंभीर नतीजे आने के बाद हरियाणा सरकार भी सक्रिय हुई और प्रदेशभर में शनिवार को खाद्य एवं औषधि विभाग ने छापे की कार्रवाई करते हुए 50 नमूने लिए। ये छापे रविवार को भी जारी रहे। खाद्य एवं औषधि विभाग के आयुक्त साकेत कुमार ने बताया कि नमूनों की जांच चंडीगढ और करनाल स्थित प्रयोगशालाओं में करवाई जाएगी। नमूनों की जांच रिपोर्ट आगामी 15 दिन में हासिल की जाएगी। उन्होंने बताया कि नमूने लेकर जांच कराने का उद्येश्य लोगों को खाने योग्य दुग्ध उत्पाद और दूध मुहैया कराना है। बाजार में नकली और मिलावटी दूध व दुग्ध उत्पादों की बिक्री रोकना है।
उधर चंडीगढ प्रशासन द्वारा पिछले जुलाई माह तक मोबाइल फूड सेफ्टी लैब में 1275 नमूनों की जांच करवाई गई जिनमें से दूध के 734 नमूने घटिया पाए गए। एक नमूने में मिलावट भी पाई गई। चंडीगढ प्रशासन ने वर्ष 2016 से मोबाइल फूड सेफ्टी लैब शुरू की है।