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चंडीगढ़ पंजाब

पंजाब में सिखों पर पुलिस फायरिंग मामले में जांच कर रही एसआईटी से आईजी को हटाने पर राजनीतिक विरोध

मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में पुनर्विचार की मांग की…
 

चंडीगढ़ पंजाबApr 11, 2019 / 03:18 pm

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(चंडीगढ): पंजाब में वर्ष 2015 में गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस गोलीबारी के मामले में जांच कर रही एसआईटी से चुनाव आयोग के आदेश पर आईजी कुवर विजय प्रताप सिंह को हटाने पर राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है।


मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त को बुधवार को पत्र भेजकर विरोध दर्ज कराया है। इससे पहले सिमरनजीत सिंह मान के नेतृत्व वाले अकाली दल-अमृतसर ने भी पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौपकर आईजी को एसआईटी से हटाने पर आपत्ति दर्ज करवाई थी। इसी बीच बुधवार को ही आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौपकर आईजी को एसआईटी से हटाने के आदेश पर फिर से विचार करने की अपील की।

 

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोडा को भेजे पत्र में आईजी को हटाए जाने के मुद्दे पर कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक आपत्तियां दर्ज करवाई है। उन्होंने पत्र में कहा है कि आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह समेत एसआईटी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने का अपना कानूनी दायित्व पूरा कर रही थी। अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत यह एक संविधिक जांच है जो कि आदर्श आचार संहिता से प्रभावित नहीं होती। मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग के पिछले पांच अप्रेल के आईजी कुंवर विजय प्रताप को हटाने के आदेश से पहले से चल रही जांच में दखल है और 25 जनवरी के हाईकोर्ट के फैसले के विरूद्ध है। हाईकोर्ट ने इस फैसले में एसआईटी के गठन और जांच पर लगाए गए राजनीतिक आरोप खारिज कर दिए थे।

 

किसी एजेंसी या टीम द्वारा जांच के बारे में प्रेस को जानकारी देने में कुछ भी अवांछनीय या असामान्य नहीं है। जांच एजेंसियों द्वारा इस तरह प्रेस को जानकारी देना एक मानक की तरह है। यह पारदर्शिता व जनजागरूकता के हित में भी है। एसआईटी के सदस्य के रूप में आईजी की कार्रवाई को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानने के चुनाव आयोग के आधार को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां तक कि देश की प्रधान जांच एजेंसी सीबीआई ने प्रेस को जानकारी देने के लिए प्रवक्ता नियुक्त किया है। समय-समय पर विज्ञप्ति जारी की जाती और वेबसाइट पर अपलोड की जाती है। आईजी द्वारा जांच के बारे में चैनल को दिया गया साक्षात्कार राजनीति प्रेरित नहीं था। इसमें कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं की गई और यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी नहीं है। साक्षात्कार में आईजी ने राजनीतिक सवालों के जवाब देने से इनकार किया है। हालांकि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग के आदेश की पालना की है। लेकिन आयोग के आदेश की समीक्षा की जाना चाहिए।


आम आदमी पार्टी के नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौपकर मांग की कि एसआईटी से आईजी को हटाने के आदेश पर पुनर्विचार किया जाए। चीमा ने बाद में पत्रकारों से कहा कि गुरूग्रंथ साहिब के अपमान और इसके विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग की घटनाओं की जांच आदर्श आचार संहिता लागू होने के पहले से चल रही थी। यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। आईजी को एसआईटी से हटाने के आदेश पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

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