सरकार के 14 माह पूरे फिर भी नहीं बन पाई कोई नीति
अमरिंदर सरकार ने अपने कार्यकाल के 14 माह पूरे कर लिए हैं लेकिन माइनिंग नीति तय करने के लिए लगातार मंथन के बावजूद कोई नीति तय नहीं की जा सकी है। राज्य सरकार ने माइनिंग नीति का मसौदा तैयार करने के लिए शहरी निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू की अध्यक्षता में एक केबिनेट सब कमेटी का गठन किया था। इस सब कमेटी ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी लेकिन केबिनेट को सिद्धू कमेटी का प्रस्ताव पसंद नहीं आया। अब माइनिंग व भूगर्भ मंत्री सुखबिंदर सरकारिया को माइनिंग नीति तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। सिद्धू सब कमेटी द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर सब कमेटी के अन्य सदस्यों ने ही असहमति प्रकट की थी।
इन तीन सूत्र को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी नई माइनिंग नीति
सुखबिंदर सरकारिया को अपने ही स्तर पर माइनिंग नीति तैयार करने का काम सौंपा गया है। उन्हें माइनिंग नीति तैयार करने के लिए तीन सूत्र बताए गए है। पहला राज्य के लिए पर्याप्त राजस्व मिले,आम आदमी को सस्ता रेत व रब्बल मिले और माइनिंग माफिया का सफाया हो जाए। सरकारिया को यह भी कहा गया है कि वे नीति तैयार करने के लिए सिद्धू व अन्य मंत्रियों से भी सलाह लें। नीति तैयार कर केबिनेट को मंजूरी के लिए पेश की जाएगी।
पुराने माइनिंग ठेकें समाप्त करेगी सरकार
दूसरी ओर राज्य सरकार ने पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा दिए गए माइनिंग ठेकों को समाप्त करने का फैसला किया है। इसके लिए ठेकेदारों को 11 करोड रूपए का मुआवजा दिया जाएगा। इसके बाद खानों की फिर से नीलामी की जाएगी। इन करीब 42 खानों की प्रोग्रेसिव नीलामी की जाएगी। इसके बाद ग्रेवल की सप्लाई शुरू की जाएगी। इनमें से 23 खानें ग्रेवल की आपूर्ति कर रही थी।