संक्रमण के बाद जांच हुई तो होश उड़े फगवाड़ा (पंजाब) निवासी बच्ची के दिल में छेद था। परिजनों ने नौ अप्रैल को उसे पीजीआई में भर्ती कराया। उसकी ओपन हार्ट सर्जरी हुई। सर्जरी के बाद बच्ची स्वस्थ थी। बीते दो दिन से उसे संक्रमण हो रहा था। मंगलवार की दोपहर में चिकित्सकों ने बच्ची का कोरोनावायरस का परीक्षण कराया। बुधवार मिली जांच रिपोर्ट में बच्ची कोरोना पॉजिटिव निकली। वहीं ब्लॉक के वार्ड नंबर-4सी में दहशत फैल गई। बच्ची को डॉ. अरुण कुमार भारनवाल ने देखा था, इसलिए उनकी पूरी टीम के भी नमूने लिए गए हैं। फिलहाल बच्ची को कोरोना वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
इन्हें किया गया क्वारंटाइन एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर में संक्रमित बच्ची के अलावा अन्य चार बच्चे और उनके परिवार के लोग भी रह रहे थे। पीजीआई प्रवक्ता के अनुसार, बच्ची के संपर्क में पीडियाट्रिक, रेडियोलॉजी और कार्डियोलॉजी के 18 डॉक्टर, 15 नर्सिंग ऑफिसर, हॉस्पिटल और सेनिटेशन अटेंडेंट 13, फिजियोथेरिपिस्ट 2, एक्सरे टेक्नीशियन और रेडियोलॉजी नर्सिंग ऑफिसर 6 शामिल हैं। इन्हें एकांतवास में भेजा गया है।
पीजीआई प्रबंधन पर आरोप इसबीच पीजीआई इंप्लाइज यूनियन का आरोप है कि बार-बार आगाह करने के बावजूद अनदेखी की जा रही है। इसके चलते पीजीआई स्टाफ की जान खतरे में है। कोरोना वायरस से बचाव संबंधी आवश्यक सामग्री समय रहते नहीं खरीदी गई। अनट्रेंड स्टाफ को ड्यूटी पर लगाया गया है। समय रहते कोरोना से जुड़े अलग-अलग वार्ड नहीं बनाए गए। ट्रायल रूम भी अलग नहीं बनाए गए। बिना पीपीई किट के स्टाफ को ड्यूटी पर भेजा जा रहा है। पीजीआई प्रबंधन डॉक्टरों, मरीजों व कर्मचारियों की जान खतरे में डाल रहा है। इस बारे में पीजीआई निदेशक डॉ. जगतराम को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।