उन्होंने कहा कि सभी मरीज अपनी बीमारी की वजह से मरे हैं। सूत्रों के अनुसार मंगलवार शाम 4 बजे के बाद मेडिकल आईसीयू समेत तीन ब्लॉक में मरीजों की मौत दर्ज की गई थी। ऑक्सीजन रिफील करने में भी देरी की जा रही थी। ऑक्टीजन टैंकर, जो 12 बजे तक आने वाला था, शाम 4 बजे तक नहीं पहुंचा था। जिसके परिणाम स्वरूप आपूर्ति प्रभावित हुई। इसी बीच बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कलक्टर ने कहा मंगलवार को 309 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे।
अस्पताल में प्रति दिन ऑक्सीजन की मात्रा लगभग 2.९ केएल है, लेकिन मंगलवार को यह संख्या 4.५ केएल पहुंच गई थी। अस्पताल की ऑक्सीजन क्षमता 23केएल है। सुबह 1.४ केएल ऑक्सीजन था और शाम को 5केएल और भरा गया था। इसके अलावा आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए 40 ऑक्सीजन सिलेंडर को भी तैयार रखा गया है। इन सिलेंडरों का भी मंगलवार रात को उपयोग हुआ और मैने प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण किया। मरने वालों में सिर्फ एक मरीज की आरटीपीसीआर से कोविड मरीज होने की पुष्टि हुई थी और अन्य को कोरोना पॉजिटिव माना जा रहा था।
उम्र सबंधी समेत अन्य बीमारी की वजह से उनकी मौत हुई है। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षा निदेशक आर. नारायण बाबू के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है जो तरल ऑक्सीजन टैंक में कम दबाव का कारण बनने वाली गड़बड़ी की जांच करेंगे। इसी बीच डॉक्टरों ने प्रदर्शन कर ऑक्सीजन आपूर्ति मामले और कर्मियों की कमी को दूर करने का आग्रह किया।