दो महीने पहले शुरू किया था काम
गुंटूर के तेनाली इलाके में रहने वाले मूर्तिकार के वेंकटेश्वर राव और उनके बेटे के. रवि चंद्रा ने दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था। प्रतिमा पूरी तरह से ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा बेकार फेंके गए एक टन से अधिक स्क्रेप का उपयोग करके बनाई गई है। यह स्क्रेप हैदराबाद, विशाखापत्तनम, चेन्नई और गुंटूर के स्क्रेप बाजार से एकत्रित किया गया।
दस सदस्यीय टीम की ली मदद
वेंकटेश्वर राव ने बताया हमने 10 सदस्यों की एक टीम की मदद से सूर्य सिलपसाला, तेनाली में मूर्ति बनाना शुरू किया। पीएम नरेंद्र मोदी की 14 फीट ऊंची मूर्ति बनाने में बाइक की चेन, गियर के पहिये, लोहे की छड़, नट, बोल्ट और अन्य टूटे हुए अनुपयोगी धातु के टुकड़ों आदि करीब दो टन डिस्चार्ज किए गए ऑटोमोबाइल स्क्रेप का इस्तेमाल किया गया था। उनका कहना था आमतौर पर उत्तम विशेषताओं वाली मूर्तियां स्क्रेप से नहीं बनी होती हैं, केवल कांस्य से ही बनी होती हैं। हमारे लिए उपलब्ध स्क्रेप से चेहरे की विशेषताओं को सामने लाना मुश्किल था।
मूर्ति तैयार करने में लगे 600 घंटे
कलाकारों ने चेहरे के भाव, हेयर स्टाइल, दाढ़ी और चश्मा बनाने के लिए जीआई वायर का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि स्क्रेप आर्ट को पूरा करने में करीब 600 घंटे से अधिक का समय लगा।
पहले नट-बोल्ट से बनाई थी महात्मा गांधी की मूर्ति
वेंकटेश्वर राव पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं, जबकि उनके बेटे रवि के पास ललित कला में मास्टर डिग्री है। इससे पहले इस पिता-पुत्र की जोड़ी 75,000 नट और बोल्ट का उपयोग करके महात्मा गांधी की एक मूर्ति बना चुकी है।