पूर्ण कोर्ट ने दो जजों की वेतन वृद्धि पांच साल तक काटते हुए उन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्णय किया है।
Madurai कॉर्पोरेशन के कराधान अपीलीय ट्रिब्यूनल के वरिष्ठ Civil Judge एस. चेल्लपांडियन को स्वास्थ्य आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। वे ५५ वर्ष के हैं। उनके स्वास्थ्य के आधार पर कार्य की अयोग्यता की जांच का आदेश मदुरै के मेडिकल बोर्ड को दिया गया था। बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर पूर्ण कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायिक अधिकारी का स्वास्थ्य आशाहीन बिन्दु पर पहुंच चुका है इसलिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा रही है।
Namakkal जिले की पूर्व अपर जज एस. मनविझी जो निलंबित है पर अभियोग चलाया जाएगा। पूर्ण कोर्ट प्रशासनिक समिति की अनुशंसा के आधार पर उन पर सीआरपीसी की धारा १९७ और भ्रष्टाचार रोधी कानून १९८८ की धारा १९ के तहत मुकदमा चलाने के आदेश देते हुए कहा कि हम एकमत है कि उनको सेवा से बर्खास्त कर दिया जाए।
इसी तरह मई २०१५ में अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने पर कृष्णगिरि न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम १ के. विजयकुमार और रामनाथपुरम जिला प्रधान जज टी. पोनप्रकाश हैं। वे मार्च २०१७ में सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई लम्बित होने की वजह से उनको रिटायर नहीं होने दिया गया और निलंबित रखा गया था। ढाई साल बाद फुल कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप को संगीन माना और डिसमिस कर दिया।
पूर्ण कोर्ट ने Saidapet Metropolitan मजिस्ट्रेट क्रम १२ एन. राजलक्ष्मी पर सात आरोप पाए। जांच में चार आरोप साबित हो गए और हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति व मुख्य न्यायाधीश ने उन पर फैसला किया। पूर्ण कोर्ट ने उन पर सख्त निगरानी का निर्णय करते हुए पांच वेतन वृद्धि रोक दी। यही निर्णय चेन्नई जॉर्ज टाउन कोर्ट की महानगर दण्डाधिकारी टी. जयश्री क्रम ८ के मामले में लिया गया। कृष्णगिरि जिले के देनकनीकोट्टै मुंसिफ अदालत की पूर्व जज पी. सी. सावित्री की वेतनवृद्धि भी रोक दी गई है।